जान जोखिम में डालकर छात्र छात्राएं पढ़ने जाते हैं स्कूल

जहरीले सांप के भय के साए में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं सैकड़ो छात्र-छात्रा

एस. पी. सक्सेना/लातेहार (झारखंड)। लातेहार जिला के हद में चंदवा प्रखंड कार्यालय से चार किलोमीटर दूर पक्की सड़क से लगभग आधे किलोमीटर की दुरी पर स्थित कामता पंचायत की ग्राम चटुआग के उत्क्रमित प्रथमिक विद्यालय परहैया टोला चटुआग स्कूल की सड़क का पंचायत समिति सदस्य अयुब खान ने जायजा लिया।

पंसस खान ने बताया कि इस स्कूल में 12 बच्चे आदिम जनजाति के और 15 बच्चे आदिवासी समुदाय के शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। स्कूल आने जाने का जो मुख्य पथ है उसमें पैदल चलना भी काफी मुश्किल है। खान के अनुसार पथ में दोनों तरफ से झाड़ी निकलने और बड़े बड़े घांस निकलने से लगता ही नहीं है कि यह स्कूल का पथ है।

स्कूल पथ से एक नाला गुजरा है, इसमें पुल नहीं रहने से यह रास्ता पूरी तरह बंद हो गया है। बच्चे नाला फांदकर अथवा इधर उधर से भटक कर झाड़ियों से होकर अपनी जान जोखिम में डालकर स्कूल आना जाना कर रहे हैं।

खान के अनुसार उक्त झाड़ीनुमा रास्ते में बच्चों को कई बार जहरीले सांपों से भी सामना हो चुका है। गनीमत रहा कि बच्चों की नजर शर्प पर पड़ गया और जैसे तैसे भागकर बच्चों ने अपनी जान बचाई। फिर भी मजबूरन सैकड़ो छात्र-छात्राएं इसी रास्ते से आने जाने को विवश हैं। उन्होंने बताया कि जहरीले सांप के भय के साए में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं यहां के आदिम जाति और आदिवासी छात्र।

उक्त गांव के दसवा परहैया, डोमन परहैया, बिनोद परहैया, बिफैया परहैया ने बताया कि तीन तरफ से बच्चे इस स्कूल में आते हैं, लेकिन कोई रास्ता आने जाने लायक नहीं है। रास्ता नहीं होने से बच्चे काफी कष्ट झेल रहे हैं। वर्षा होने के बाद किचड़युक्त रास्ते के कारण कई छात्र छात्राएं स्कूल जाना छोड़ देते हैं।

ग्रामीण रहिवासियों के अनुसार इस स्कूल के रास्ते पर चार पहिया, दो पहिया वाहन से चलना तो दूर, पैदल भी आना जाना करना काफी दुश्वार है. अभिभावक कलेजे में पत्थर रख अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं। बच्चों के घर पहुंचने पर हीं बच्चे एवं परिजन राहत की सांस लेते हैं। रहिवासियों के अनुसार उक्त रास्ते के दोनों तरफ से झाड़ी निकलने के कारण रास्ता जंगल सा लगता है।

विद्यालय में अध्ययनरत छात्र अरविंद कुमार, अजय कुमार, सुभाष कुमार, छात्रा निशा कुमारी, सीमा कुमारी ने बताया कि स्कूल जाने के लिए मात्र एक यही रास्ता है। इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं है। विकास परहैया ने बताया कि कुछ दिन पूर्व रास्ता नहीं होने के कारण पगडंडी से स्कूल जाने वाले रास्ते में झाड़ी गड्ढा से सांप निकलकर उसके पैर में लिपट गया था, लेकिन वह डंस नहीं सका।

पंचायत समिति सदस्य अयुब खान ने कहा कि शिक्षा का मंदिर स्कूल आने-जाने के लिए रास्ता न होना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने लातेहार के जिला उपायुक्त भोर सिंह यादव से तत्काल संज्ञान लेकर स्कूल आने-जाने के लिए सुगम पथ और पुल निर्माण कराने की मांग की है।

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