सीसीएल प्रबंधन ग्रामीण और विस्थापितों को वाजिब अधिकार दे-विधायक
एन. के. सिंह/फुसरो (बोकारो)। काला हीरा (कोयला) के अकूत भंडार की निकासी को लेकर 26 फरवरी को सीसीएल ढोरी क्षेत्र के गिरिडीह जिला के हद में बनियाडीह स्थित आफिसर्स क्लब (Officers Club) में कबरीबाद परियोजना का 0.6 एमटीपीए कोयला उत्पादन विस्तार के लिए पर्यावरण स्वीकृति हेतु लोक सुनवाई आयोजित की गई। मौका था सीसीएल (CCL) की कबरीबाद कोलियरी के भूगर्भ में पडे कोयले के खनन को पर्यावरणीय स्वीकृति को लोक सुनवाई का।
जिसके क्रम में एडिशनल कलेक्टर विल्सन मंगरा, डीआरडीए निदेशक आलोक कुमार और झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अशोक कुमार यादव, जेएनपीटी रांची के कुमार मनी भूषण, सीओ रवि भूषण प्रसाद, डीएमओ सतीश नायक ने स्थानीय विस्थापितों व ग्रामीण रहिवासियों से राय ली।
वहीं,यूनियन नेताओं व जनप्रतिनिधियों ने जनसमस्याएं दूर करने की शर्त पर प्रबंधन को सहयोग करने का आश्वासन दिया। सभी प्रशासनिक अधिकारियों का स्वागत सीसीएल ढोरी प्रक्षेत्र के महाप्रबंधक एमके अग्रवाल और एसओपी प्रतुल कुमार ने पुष्पगुच्छ देकर किया।
कबरीबाद कोलियरी के परियोजना पदाधिकारी एस के सिंह ने कबरीबाद ओपेनकास्ट माइंस की पूर्व एवं वर्तमान स्थिति पर रिपोर्ट पेश की। बताया कि कबरीबाद कोलियरी के भूगर्भ में कोयला खनन कराने की योजना है। उसके लिए पर्यावरणीय स्वीकृति की आवश्यकता है, जो स्थानीय ग्रामीणों, विस्थापितों, यूनियन नेताओं व जनप्रतिनिधियों के सहयोग से ही मिल पाएगी।
लगभग सभी ग्रामीण एवं विस्थापित कोलियरी के विस्तार के पक्षधर हैं। यहां के ग्रामीण एवं विस्थापित चाहते हैं कि पर्यावरणीय स्वीकृति मिले। ताकि कबरीबाद कोलियरी से कोयले का उत्पादन जारी रहे। शर्त यह है कि प्रबंधन की ओर से ग्रामीणों व विस्थापितों को वाजिब सुविधाएं दी जाएं।
इस अवसर पर गांडेय विधायक सरफराज अहमद, गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार सोनू और जिला परिषद सदस्य राकेश महतो ने कहा कि क्षेत्र के ग्रामीण व विस्थापित राष्ट्र के विकास में योगदान देने के लिए सीसीएल प्रबंधन के साथ हैं। ग्रामीणों एवं विस्थापितों को मूलभूत सुविधाएं सीसीएल प्रबंधन को देनी होगी।
विस्थापित व ग्रामीण के संबंध में डीआरडीए (DRDA) निदेशक आलोक कुमार ने कहा कि राष्ट्र की उन्नति के लिए कोयला बेहद जरूरी है। इसके मद्देनजर कबरीबाद कोलियरी के भूगर्भ में पड़े कोयले के भंडार की निकासी के लिए यहां के विस्थापित एवं ग्रामीण के साथ ही जनप्रतिनिधियों ने सहमति दी है। ग्रामीण एवं विस्थापितों को मौलिक अधिकार एवं सुविधाएं उपलब्ध कराना प्रबंधन का दायित्व है।
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