जनता दरबार के जरिए जन आकांक्षाओं को मिल रहा महत्व

सीएम द्वारा शिकायतों का ऑन स्पॉट निपटारा प्रारम्भ

संतोष कुमार/वैशाली (बिहार)। वर्ष 2016 की याद तब ताजा हुई जब 12 जुलाई को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (C.M Hemant soren) का जनता दरबार शुरू हुआ। वर्ष 2016 के बाद अब फिर एक बार कुछ एहतियाती कदमों के साथ महामारी के दौर का ख्याल रखते हुए बिहार की राजधानी पटना में दरबार लगाया गया। जहां मुख्यमंत्री कुमार फरियादियों से मुखातिब रहे।

हालांकि इस बार कोरोना प्रोटोकॉल पर खास ध्यान रखने को लेकर आयोजित जनता दरबार में मुख्यमंत्री के समक्ष उपस्थित होने वालों की मुख्य द्वार पर ही पहले थरमल स्क्रीनिंग की गयी। स्क्रीनिंग के बाद रिपोर्ट्स के आधार पर ही प्रवेश मिला। डॉक्टर्स की टीम भी वहां मौजूद रही।

खास बात यह भी है कि मिलने वाले फरियादीयों की संख्या निर्धारित था। महामारी के संक्रमण के खतरों के मद्देनजर यह संख्या निर्धारित की गई है। दरबार में शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज कल्याण, श्रम संसाधन विभाग के अलावा सामान्य प्रशासन से जुड़े शिकायतें सुनी गयी। साथ ही उन शिकायतों का ऑन दि स्पॉट निपटारे के लिए मौजूद संबंधित पदाधिकारी को निर्देशित किया गया।

12 जुलाई को लगे जनता दरबार में कई फरियादियों की शिकायतों पर उपस्थित अधिकारी को समस्या का त्वरित निदान के लिए निर्देशित किया गया। सुबह दस तीस बजे मुख्यमंत्री कुमार ने दरबार में फ़रियाद सुनना शुरू किया। सुरक्षा के भी वहां पुख्ता इंतजाम किए गए।

मुख्यमंत्री के जनता दरबार कार्यक्रम का वेबकास्टिंग बेल्ट्रन के जरिए किया जा रहा था। मालूम हो कि इधर चुनाव के बाद से लगातार सरकार और विपक्ष एक दूसरे पर हमलावर रहे। कुछ जानकार लोगों का यह भी मानना है कि सीएम नीतीश कुमार ने विपक्ष के तेवर को देखते हुए कई ऐसे कार्य की शुरुआत की है जिससे राज्य की जनता को कुछ राहत मिलने की एक धुंधली सी उम्मीद जगी है।

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