एस. पी. सक्सेना/समस्तीपुर (बिहार)। बिहार में सत्ता संरक्षित बढ़ते अपराध के खिलाफ भाकपा-माले एवं खेग्रामस के बैनर तले राज्य कमेटी के आह्वान पर 23 सितंबर को समस्तीपुर के सरकारी बस स्टैंड से प्रतिरोध मार्च निकाला गया। प्रतिरोध मार्च पोस्ट ऑफ़िस, स्टेडियम गोलंबर, समाहरणालय मार्ग से पुनः पोस्ट आफिस के पास पहुंचकर सभा में तब्दील हो गया।
सभा को संबोधित करते हुए अपने अध्यक्षीय संबोधन में जिला सचिव उमेश कुमार ने कहा कि बिहार में सत्ता संरक्षित अपराधियों का मनोबल बढ़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि विगत दिनों बिहार के अरवल में भाकपा-माले नेता सुनील चन्द्रवंशी की हत्या, नवादा में मांझी व रविदास जाति की बकरी, मुर्गा-मुर्गी सहित 80 घरों को जला दिया गया। कहा कि गया जिला के बोधगया में महादलित बस्ती पर कातिलाना हमले किए गए। इमामगंज में राजकुमार मांझी की हत्या कर दी गई।
टिकारी में संजय मांझी का बांह काट धड़ से अलग कर दिया गया। शेरघाटी में मांझी परिवार की नाबालिग पुत्री के साथ दुष्कर्म और रोहतास कैमूर पहाड़ी के खिड़की घाट में नागाटोली रहिवासी उमेश पासवान की पत्थरों से कुचकर हत्या कर दी गई। उन्होंने कहा कि विक्रमगंज के शिवपुर में सरपंच की गोली मारकर हत्या सहित रोहतास में अपराधियों द्वारा बेखौफ दर्जनों अपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया गया हैं।
समस्तीपुर जिला के हद में विद्यापतिनगर में खट्टीक सरजुल कुरैशी को माॅब खींचिंग करने की कोशिश की गयी। उन्होंने कहा कि अभी हाल में गंगापुर में फर्जी चिकित्सक ने अपने ही नर्स के साथ रेप की कोशिश की। हकीमाबाद में नाबालिग छात्रा के साथ कथित रेप-हत्या हुई। न्याय मांग रहे आंदोलनकारियों पर पुलिस लाठी चार्ज कर जेल में बंद कर दी। नीमcगली के बेचू सेठ की हत्या कर दी गई।
वनबीरा में मुखिया नारायण शर्मा की हत्या कर दी गई। पूरे राज्य में प्रतिदिन अपराध-हत्या की सैकड़ों वारदातें हो रही है।
सभा को संबोधित करते हुए खेग्रामस जिला सचिव जीबछ पासवान ने कहा कि नवादा महादलित परिवारों के घरों में दिन दहाड़े आग लगाने वाले सत्ता संरक्षित भू-माफिया है।
इसी कारण सरकार ने अबतक चुप्पी साधी हुई है। उन्होने दलित नेताओं जैसे जीतन राम मांझी और चिराग पासवान पर निशाना साधते हुए कहा कि वे इन पीड़ित महादलित परिवारों की व्यथा को अनदेखा कर रहे हैं, क्योंकि उनके राजनीतिक आकाओं ने उन्हें चुप रहने की हिदायत दे रखी है।
बिहार में अपराधियों का मनोबल बढ़ चुका है। पुलिस द्वारा दलितों और कमजोर वर्गों पर अत्याचार हो रहा है और कोई भी व्यक्ति सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है। हत्या, लूट और बलात्कार की घटनाओं से प्रतिदिन अखबार और सोशल मीडिया भरे पड़े रहते हैं। फिर भी सरकार इसे सुशासन कहती है। अगर यही तथाकथित सुशासन है तो कुशासन कैसा होगा?
सभा को भाकपा-माले के संजीत पासवान, सुरेंद्र प्रसाद सिंह, गंगा प्रसाद पासवान, खुर्शीद खैर, आसिफ होदा, कौसर अख्तर खलील, अनील चौधरी, मो. अलाउद्दीन, माले राज्य कमिटी सदस्य नेयाज अहमद, इंसाफ मंच के दरभंगा राज्य कमिटी सदस्य पप्पू खां आदि नेताओं ने भी संबोधित किया।
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