एस. पी. सक्सेना/बोकारो। झारखंड राज्य (Jharkhand state) की शिक्षा व्यवस्था की बदहाली का ईलाज निजीकरण नहीं है। उक्त बातें 18 फरवरी को माकपा नेता भागीरथ शर्मा ने कही।
उन्होंने कहा कि मीडिया में प्रकाशित खबर के अनुसार बीते दिनों झारखंड जिला परियोजना परिषद की बैठक में राज्य के शिक्षा मंत्री ने स्वयं स्वीकार किया कि राज्य की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था चौपट हो गयी है। इसलिए 42 हजार स्कूलों को निजी हाथों में दे दिया जायेगा।
उन्होंने यह भी बताया कि शिक्षा विभाग वर्तमान वित्तीय वर्ष में शिक्षा के मद का 450 करोड रूपया खर्च नहीं कर पाया है। अब इस राशि के सरैंडर किए जाने की नौबत आ गयी है।
शर्मा के अनुसार शिक्षा मंत्री का यह कदम केंद्र सरकार की नयी शिक्षा नीति (एनईपी) जिसमें सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली को ही खत्म करने का इरादा छुपा हुआ है। यह केंद्र की नीति को सीधे तौर से मदद प्रदान करेगा और शिक्षा का पुरी तरह निजीकरण का रास्ता साफ करेगा। उन्होंने कहा कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना सरकार की जिम्मेवारी है।
शर्मा ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण पिछले 22 महिनों से शिक्षा व्यवस्था पुरी तरह ठप्प है। गांव और शहरी क्षेत्र के गरीबों के बच्चे आनलाईन शिक्षा से एक प्रकार से वंचित हो रहे हैं। उनकी पढाई लिखाई बंद है। ऐसी स्थिति में स्कूलों को निजी हाथों मे सौंपकर राज्य सरकार अपना पल्ला नहीं झाड़ सकती है।
शर्मा ने कहा कि सीपीएम (CPM) शिक्षा मंत्री से आग्रह करता है कि शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली में सख्ती से सुधार लाए जाने की दिशा में ठोस कदम उठाएं जाएं, क्योंकि झारखंड की शिक्षा व्यवस्था की बदहाली का ईलाज निजीकरण नहीं है।
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