एस. पी. सक्सेना/पटना (बिहार)। बिहार की राजधानी पटना के राजेंद्र नगर स्थित प्रेमचंद रंगशाला में 21 नवंबर को पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (ईजेडसीसी) कोलकाता द्वारा प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया।
प्रेस वार्ता में पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र कोलकाता के उप निदेशक तापस सामंत रॉय ने मीडिया को संबोधित करते हुए तीन दिवसीय सांस्कृतिक महोत्सव इंद्रधनुष 2024 के बारे में विस्तृत जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज उत्तर प्रदेश तथा कला संस्कृति एवं युवा विभाग बिहार सरकार के संयुक्त तत्वावधान में 22 से 24 नवम्बर तक प्रेमचंद रंगशाला राजेंद्र नगर पटना में प्रतिदिन सायं 4 बजे से रात्रि 9 बजे तक कार्यक्रम का आयोजन होने जा रहा है।
जिसमें हरियाणा, राजस्थान, उड़ीसा, असम, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा बिहार के लोक गीत एवं लोक नृत्यों की प्रस्तुति की जाएगी। साथ हीं हस्तशिल्प मेला, खान- पान मेला, पारंपरिक पहनावा प्रदर्शन, चित्रकला कार्यशाला एवं रंगोली प्रदर्शन आदि कार्यक्रमों का आयोजन होगा।
उन्होंने ईजेडसीसी के बारे में बताते हुए कहा कि पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (ईस्टर्न जोनल कल्चरल सेंटर) भारत सरकार द्वारा स्थापित सात ऐसे आंचलिक सांस्कृतिक केंद्रों में से एक है, जिसे तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार की पहल पर बनाया गया था। इसकी स्थापना का उद्देश्य क्षेत्रीय सीमाओं के परे जाकर एक बड़े जनसमूह को सांस्कृतिक संबंधों में बांधना है, ताकि लोक और जनजातीय कलाओं के विशेष साहित्यिक एवं रचनात्मक विकास के लिए सुविधाएँ प्रदान की जा सके।
इसके अंतर्गत असम, बिहार, झारखंड, मणिपुर, उड़ीसा, सिक्किम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह शामिल है। उन्होंने बताया कि उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र (एनसीजेडसीसी), प्रयागराज के अंतर्गत बिहार, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड राज्य शामिल है।
पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के सहायक अभियंता राजोर्षि चंद्रा ने महोत्सव के बारे में बताया कि पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के इस सिग्नेचर फेस्टिवल में भारत के लगभग 400 लोक आदिवासी कलाकार और 10 छोटी हस्तशिल्प दुकानों में 40 शिल्पकार भाग लेंगे।
इस महोत्सव में हरियाणा का फाग एवं चकरी नृत्य, राजस्थान का कालबेलिया नृत्य, उड़ीसा का संबलपुरी नृत्य, मध्य प्रदेश का बधाई नृत्य, असम का बिहू नृत्य, बिहार के लोकगीत जोगीरा, लोकनृत्य झिझिया तथा कब्बाली एवं उतर प्रदेश के लोक नृत्यों की प्रस्तुति की जाएगी। इसके अलावा सारे प्रदेशो के नृत्यों को समवेत रूप में प्रस्तुत किया जायेगा तथा कलाकारों द्वारा विभिन्न राज्यों के परंपरागत पोशाकों का मंच प्रदर्शन भी किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि 22 नवंबर को इस महोत्सव का उद्घाटन बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आलेकर द्वारा किया जायेगा। उनके साथ बिहार के उप मुख्यमंत्री सह कला- संस्कृति मंत्री विजय सिन्हा, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के सचिव दयानिधान पांडेय, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के निदेशक रूबी के अलावा अन्य गणमान्य पदाधिकारी भी शामिल होंगे तथा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित बिहार के कलाकार अतिथि के रूप में भाग लेंगे।
बताया गया यह तीन दिवसीय इंद्रधनुष महोत्सव संस्कृति और विरासत के सात पहलुओं का प्रतीक है, जिसमे लोक नृत्य, लोक गीत, लोक रंग मंच, लोक चित्रकला, पारंपरिक वेशभूषा, स्वदेशी शिल्प और व्यंजन शामिल है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय संस्कृति को विश्व स्तर पर पहचान दिलाना है। अंत में ईजेडसीसी के मीडिया प्रभारी सह प्रसिद्ध कलाकार मनीष महिवाल ने उपस्थित मिडियाकर्मियों के प्रति आभार व्यक्त किया।
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