एस. पी. सक्सेना/पटना (बिहार)। बिहार की राजधानी पटना जिला के हद में बिहटा के सीताराम आश्रम राघवपुर में 19 फरवरी को प्रख्यात स्वाधीनता सेनानी व किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती की 134वीं जयंती के अवसर पर किसान मेला का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर यहां मेला में लोक पंच की प्रस्तुति क़ातिल खेत नाटक का प्रदर्शन किया गया। मौके पर दर्जनों गणमान्य सहित बड़ी संख्या में आसपास के ग्रामीण रहिवासी उपस्थित थे।
प्रस्तुत नाटक कातिल खेत के लेखक इश्तियाक अहमद तथा निर्देशक व् कलाकार मनीष महिवाल के निर्देशन में प्रस्तुत नाटक का कथासार कुछ इस प्रकार है। नाटक क़ातिल खेत के माध्यम से दिखाया गया कि एक किसान है जो अपनी किसानी से खुश है। थोड़ा-थोड़ा अपनी जरूरत की सभी खाद्य सामग्री वह अपने खेतो से उपार्जित करता है।
एक दिन किसान को हल जोतते समय खेत में एक चिराग मिलता है। वह चिराग को साफ करता है, तभी उसके अंदर से जिन्न निकलता है और सलाह देता है कि तुम अपने खेत में रासायनिक खाद का उपयोग करो। उपज 5 गुना होगा। एक बार में एक फसल लगाओ तो और ज्यादा फायदा होगा।
पर खर्च थोड़ा ज्यादा लगेगा। जबकि किसान की पत्नी किसान को यह सलाह मानने से बार-बार मना करती है। बावजूद इसके किसान अपनी पत्नी की बात नहीं मानता है। वो कर्जा, पईचा, लोन लेकर खेती शुरू करता है। बार-बार कर्ज लेता है, पर समय पर चुका नहीं पाता है। मजबूरन अपने सारे फसल और अपनी जमीन से उसे हाथ धोना पड़ता है। अंत में वह आत्महत्या कर लेता है।
प्रस्तुत नाटक कातिल खेत के पात्र में किसान मनीष महिवाल, किसान की पत्नी प्रियांका सिंह, जिन्न गुलशन कुमार, बैल अरबिंद कुमार तथा अभिषेक राज, ग्रामीण राम प्रवेश, मुखिया अभिषेक, मुंशी जी की भूमिका में अभिषेक राज ने नाटक में अपने किरदार बखूबी निभाया है।
जबकि मंच से परे संगीत अभिषेक राज, मंच व्यवस्था राम प्रवेश, प्रॉपर्टी कृष्ण देव, मेकअप रोज सिंह, परिवहन अरबिंद कुमार, फोल्डर अभिजीत चक्रवर्ती, वस्त्र विन्यास रितिका का नाटक के सफल संचालन में सराहनीय सहयोग रहा।
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