सोनपुर में 83वां शास्त्रीय संगीत, वाद्य एवं नृत्य सम्मेलन की तैयारी पूरी

स्व. राम लखन दास की पुण्यतिथि पर 7 अगस्त को कलाकारों का होगा समागम

अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में सोनपुर प्रखंड के लोक सेवा आश्रम प्रांगण में आगामी 7अगस्त को अखिल भारतीय 83वां शास्त्रीय संगीत, वाद्य एवं नृत्य महोत्सव का आयोजन होने जा रहा है। इस दिन शास्त्रीय नृत्य, संगीत गायन कार्यक्रम के संस्थापक शास्त्रीय नृत्य कला के मर्मज्ञ संत बाबा राम लखन दास महाराज की 54वीं पुण्य स्मृति दिवस भी है।

इस दिवस की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि कार्यक्रम में आने वाले सभी कलाकार संत स्व.बाबा रामलखन दास को कला मंच से अपनी कलाओं का प्रदर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस दौरान उन कलाकारों की यादें भी ताजी हो जाती हैं, जिन्होंने बिहार के इस इकलौते मंच पर गरिमा के साथ अपनी संगीत साधना से इसको पुष्पित-पल्लवित करने का काम किया था।

इस प्रेक्षागृह के मंच पर पिछले 83 वर्षों से देश के राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के शास्त्रीय संगीत, वाद्य तथा नृत्य में दक्ष कलाकारों ने आकर निःशुल्क कार्यक्रम की निःशुल्क प्रस्तुति की है। यह सिलसिला कमोवेश आज भी जारी है। अब तक शास्त्रीय नृत्य, संगीत एवं वाद्य की बड़ी-बड़ी हस्तियों ने तबले की थाप पर नृत्य, गायन व शहनाई की धुन पर अपनी कला साधना का यहां प्रदर्शन कर देश और दुनिया में सोनपुर के इस शास्त्रीय मंच की गौरव गरिमा में वृद्धि की है।

भारत रत्न शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला खां एवं पद्म विभूषण से सम्मानित तबला वादक पंडित किशन जी महाराज का तो यहां आयोजित होने वाले कार्यक्रम के संस्थापकों की लिस्ट में नाम शामिल हैं।

यहां आने वाले कलाकार बड़े हो या छोटे, सभी संत बाबा स्व. रामलखन दास को अपनी कला साधना का परिचय देते नहीं अघाते। सभी बाबा का आशीर्वचन की ख्वाहिश रखते हैं और भाव रहता है समर्पण का।

लोक सेवा आश्रम के संस्थापक संत रामलखन दास ने ही अपने आश्रम में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रारंभ किया था। वर्तमान प्रेक्षागृह बनने से पूर्व आश्रम के भीतर ही शास्त्रीय संगीत, नृत्य-संगीत एवं वाद्य का कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाता था। पद्म विभूषण से सम्मानित तबला बादक पं. किशन जी महाराज, वाराणसी के फूफेरे भाई प्रसिद्ध कत्थक नर्तक पं. जोखू महाराज ने इस मंच पर 35 वर्ष तक नृत्य किया था।

बताया जाता है कि 7अगस्त 1969 को बाबा रामलखन दास की आश्रम में हत्या के बाद उनकी पुण्यतिथि पर यह कार्यक्रम होने लगा। कत्थक नर्तक जोखू महाराज, मुजफ्फरपुर की ठुमरी गायिका बृजवाला देवी, वज्जन खां, गायक, मुजफ्फरपुर, खुनू मिश्र, तबला वादक आजमगढ़ ने एक साथ 1942-43 में यहां के सांस्कृतिक कार्यक्रम में पहली बार शिरकत की थी।

सारंगी वादक मुजफ्फरपुर के नसीरुद्दीन थे। पं. किशन जी महाराज के गुरु कण्ठे महाराज, जोखू महाराज के छोटे भाई सामता प्रसाद उर्फ गोदई महाराज, सितारा देवी वाराणसी, अलक नंदा देवी नृत्य एवं तारा देवी गायिका वाराणसी ने भी अपनी कला साधना का परचम यहां लहराया। तारा देवी के प्रसिद्ध नर्तक पुत्र गोपी कृष्ण ने बचपन में इस मंच पर मां के साथ आकर नृत्य किया।

भारत रत्न शहनाई वादक बिस्मिल्ला खां तो इस मंच के बाद में अध्यक्ष भी बन गये। पद्म विभूषण से सम्मानित पं. किशन जी महाराज भी सांस्कृतिक कार्यक्रम में संस्थापक सदस्यों में से हैं। बाबा रामलखन दास के शिष्य परंपरा में सुशीला देवी, बृजबाला देवी मुजफ्फरपुर का नाम भुलाया ही नहीं जा सकता।

कोलकाता की प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना माया चटर्जी इस मंच की जान ही थी। इसके अतिरिक्त बड़े गुलाम अली खां लाहौर जो कोलकाता में थे, ने भी इस मंच पर कार्यक्रम प्रस्तुत किया।

मधु मिश्रा, कत्थक नृत्यांगना, जयंती मुखर्जी, अर्जुन महाराज, जयंती माला कत्थक नृत्य, वसुंधरा शर्मा कत्थक नृत्य, कत्थक गुरु बलराम लाल पटना, स्व.नाथ नारायण सिंह देहाती अनुकृति, विप्पल भट्टाचार्य तबला वादक, डॉ.प्रवीण उद्धव तबला वादक, पंडित किशोर मिश्र तबला वादक, आदि।

ईश्वरी लाल तबला वादक, रवि शंकर कत्थक नर्तक, पंडित दुर्गा लाल नृत्याचार्य, एशिया प्रसिद्ध मिश्र बंधु अमर नाथ, पशुपति नाथ, युगल बंदी, शिव दास चक्रवर्ती सरोद वादक, राम रुचि देव भंडारी काष्ट तरंग वादक आदि सैकड़ों ऐसे नाम हैं जो एक-से-बढ़कर एक हैं, जिन्होंने यहां आकर अपनी श्रद्धांजलि दी।

स्व.बाबा रामलखन दास की पुण्य स्मृति दिवस पर उस्ताद बिस्मिल्ला खां आते रहे और इस मंच पर अपनी शहनाई पर गीत -‘दिल का खिलौना हाय टूट गया, कोई लुटेरा आके लूट गया जरुर प्रस्तुत करते थे।

बिहार प्रदेश उदासीन महामंडल के अध्यक्ष सह लोक सेवा आश्रम सोनपुर के व्यवस्थापक संत बाबा विष्णुदास उदासीन उर्फ मौनी बाबा ने 5 अगस्त को बताया कि इस बार 7 अगस्त को आयोजित कार्यक्रम में शास्त्रीय, उपशास्त्रीय गायन में पंडित सागर मिश्रा वाराणसी, देवानन्द ठाकुर गायन वैशाली, रविशंकर पाठक गायन हारमोनियम, दिनेश शर्मा (सेवा निवृत जिला जज) गायन, उदयन झा गायन पटना के साथ-साथ भारती संगीत विद्यालय लालगंज के छात्रों द्वारा आरती एवं मंगलाचरण गायन होगा।

उन्होंने बताया कि वाद्य यंत्र के कलाकारों में इस बार सर्वाधिक तबला के पांच कलाकार अपनी कला का दम दिखलायेंगे। इनमें वाराणसी के पंडित भोलानाथ मिश्रा, प्रीतम मिश्रा, कोलकाता के सुदीप चटर्जी, वैशाली के रुपक कुमारी और प्रदीप दास, पटना के उनर्व शंकर के अलावा हारमोनियम पर नया गांव सारण के वैद्यनाथ प्रसाद गुप्ता और बांसुरी पर पटना के मोहम्मद सलीम संगत करेंगे।

इसके अतिरिक्त इस बार तार यंत्र पर पंडित अमितेश बोस मोहन वीणा, कोलकता, अंकित मिश्रा सारंगी, वाराणसी, अंचल सिंह, चंदन कुमार तानपुरा वैशाली अपनी कला से दर्शकों का मनोरंजन करेंगे।

मौनी बाबा ने बताया कि कत्थक नृत्य के लिए वाराणसी के डॉ ममता टंडन एवं पंडित रविशंकर मिश्रा, कोलकता के डॉ अदिति चक्रवर्ती, मशरख सारण की कुमारी रुपा एवं आरा के कत्थक नृत्य बोल बथंट के साथ गुरु बख्सी विकास उपस्थित रहेंगे।

कार्यक्रम संयोजक सह उदघोषक के रुप में आकाशवाणी/दूरदर्शन लखनऊ के डॉ अशोक कुमार सिंह गौतम, मुजफ्फरपुर के आचार्य चंद्र किशोर पराशर एवं मंच सहयोगी अलक सिंह होंगे।

इन्होंने की लोकसेवा आश्रम के मंच पर निःशुल्क प्रस्तुति

सन् 1969 में श्रद्धांजलि सह संगीत समारोह में पद्मश्री बिस्मिल्ला खां (राष्ट्र रत्न), शहनाई सम्राट एवं तबला सम्राट पं. किशनजी महाराज (पद्म विभूषण) ने सर्वसम्मति से फैसला लिया कि प्रतिवर्ष की भांति इस पारम्परिक संगीत सम्मेलन को अगले बार से बाबा राम लखन दास के शहादत दिवस पर मनाया जाय एवं इस स्मृति एवं श्रद्धांजलि सभा में हिन्दुस्तान के तमाम कलाकार निःशुल्क श्रद्धांजलि समर्पण करेंगे।

इस कला मंच पर अब तक शहनाई सम्राट बिस्मिल्ला खां, तबला सम्राट पद्मश्री पं. किशनजी महाराज, ठुमरी गायिका बृजवाला देवी, पं. कंठेजी महाराज, पं. अनोखेलाल, अलक नंदा, रौशन कुमारी, पं. शांता प्रसाद, संगीत निर्देशक सी. रामचन्द्र, उस्ताद बड़े गुलाम अली खां, पद्मश्री डॉ बी. जी. जोग, पद्मश्री गोपाल प्रसाद मिश्रा, माया चटर्जी, पद्मश्री पं. सियाराम तिवारी, पं. श्यामदास मिश्रा, पं. कृष्णा जी महाराज, नृत्य निर्देशक विरजू महाराज, कपूर मिश्र, अनोखे लाल जैसे अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकारों ने निःशुल्क सेवा की है।

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