आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने का सशक्त माध्यम है मछली पालन उद्योग
अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में विश्व प्रसिद्ध हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला के प्रदर्शनी एरिया में अलंकारी मछलियों की पोस्टर प्रदर्शनी मेला दर्शकों को भा रही है। यहां मछली पालन का तरीका भी बताया जा रहा है।
मछली पालन उद्योग से कैसे आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी, यह सब जानना है तो आइए मेले में लगी मत्स्य विभाग की प्रदर्शनी में, जहां आपको एक्वेरियम में तैरती हुई रंग-बिरंगी और आकर्षक मछलियों का दीदार होगा। यहां बने छोटे-छोटे तालाबों में तैर रही नैनी, कतला, रेहू, मांगुर, बोआरी सहित अनेक देसी मछलियों को पालने के तौर-तरीके भी बताए जा रहे हैं। अपनी खाली पड़ी जमीन पर तालाब बनवा कर कैसे उसमें मछली पालन किया जाएगा और कितने दिनों बाद यह तैयार होगा, इस बारे में बताया जा रहा है।
मेला प्रदर्शनी में मछली को कितनी मात्रा में क्या खिलाना है, इसकी भी जानकारी यहां दी जा रही है। कैसे एक साल में मछली पालन से मछली पालक की आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा, यह भी बताया जा रहा है। ज्ञात हो कि बिहार में वर्ष 2005 से पहले मछली उत्पादन बहुत कम था। दूसरे राज्यों से यहां मछलियां मंगाई जाती थी। अब मछली पालन में बिहार आत्मनिर्भर हो गया है। मछली पालन उद्योग की प्रगति हो रही है।
अलंकारी मछलियों के पालन से होगी आर्थिक स्थिति मजबूत
अगर आप अलंकारी मछलियों की पहचान करना चाहते हैं तो आपको सोनपुर मेला में लगाई गई मत्स्य विभाग की प्रदर्शनी में आना होगा। इसमें अलंकार मछली की कई प्रजातियों की पोस्टर लगी है। इन मछलियों को घर में भी पाल सकते हैं और सजावट के रुप में उन्हें देखा जा सकता है। अलंकारी मछली जिनकी कीमत 20 रूपए से लेकर साढे पैतिस सौ रूपए तक होती है। पोस्टर में फ्लावर हर्ष के बारे में जानकारी दी गई है।
फ्लावर हर्ष नाम की मछली के बारे में बताया जाता है कि इसे ब्रीडिंग टू ब्रीडिंग कर मानव द्वारा बनाया गया है। यह मानव द्वारा निर्मित मछली दिखने में काफी आकर्षक लगती है। इस वजह से इसकी डिमांड काफी रहती है। इसकी उपलब्धता कम होने की वजह से इसका रेट अधिक होता है।वहीं ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस मछली को घर में पालने से सुख शांति की प्राप्ति होती है।
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