विजय कुमार साव/गोमियां (बोकारो)। गोमियां प्रखंड (Gomiyan Block) के हद में पचमो पंचायत में लचर सिस्टम के आगे गरीब पुरी तरह मजबूर होकर रह गया है। आंधी, बारिश, ठंड के मौसम में टूटी झोपड़ी में प्लास्टिक तानकर रहना उनकी दिनचर्या में शामिल होकर रह गया है। आज उनकी सुधि लेनेवाला कोई नहीं है।
गिमियाँ प्रखंड के हद में अति सुदूरवर्ती क्षेत्र पचमो पंचायत की मिथिला देवी ने 25 फरवरी को बताया कि कड़ी मेहनत से उनके पूर्वजों ने खपरैल मकान बनाया था। इतने वर्षों में उसकी स्थिति जर्जर हो गई है। वे वर्ष 2011 से ही आवास के लिए प्रयासरत हैं।
सरकार (Government) आई और गई। फिर प्रधानमंत्री आवास की योजना आई। इसमें भी उन्होंने सभी अहर्ता को पूरा किया। प्रखंड कार्यालय के चक्कर काटकर वह और उनके पति थक चुके हैं। टूटी झोपड़ी में प्लास्टिक तानकर रहने को मजबूर है। उन्हें अगर मिला तो सिर्फ आश्वासन। अब इस लचर सिस्टम के आगे वह मजबूर हो गयी हैं।
मिथिला देवी के पति प्रदीप सिंह ने कहा की उनके जॉब कार्ड, आईडी नंबर पर किसी और को टैग कर मैपिंग कर दिया गया है। इसी वजह से उन्हें आवास की योजना से वंचित रहना पड़ रहा है। इसकी शिकायत उन्होंने कई बार पंचायत के मुखिया एवं पंचायत सेवक से की है। पंचायत सेवक ने कहा वेरीफिकेशन के लिए भेजे हैं।
वही इस संबंध में पंचायत सेवक फूलचंद करमाली ने कहा कि मिथिला देवी सारी अहर्ता को पूरा करती है, किंतु मैपिंग में चले जाने के कारण अभी तक उनका आवास नहीं बन पाया है। अब गलती किसकी है, उन्हें पता नहीं।
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