राजनेता नहीं चाहते धारावी का विकास- दिलीप कटके

धारावी के विनाश में भू माफिया और मनपा की भूमिका अहम

मुश्ताक खान/मुंबई। दशकों से धारावीकरों का इस्तेमाल करने वाली पार्टियों के नेता या उनकी सरकारों ने अब तक धारावी के लिए क्या किया?

चुनाव के दौरान सब्जबाग दिखा कर सत्ता का सुख भोगने वाले फरेबी नेताओं को चुल्लु भर पानी में डुब मरना चाहिए। यह बात धारावी बचाओ आंदोलन (Dharavi Bachao Andolan) के नेता दिलिप एन कटके (Dilip N Katke) ने कही। उन्होंने कहा की कांग्रेस (Congress) के किसी भी नेता में दम नहीं है कि वो धारावी का विकास करा सकें।

कटके ने कहा कि राजनैतिक भवंर में दम तोड़ती धारावीकरों की भावनाओं से अब खिलवाड़ न करें तो बेहतर होगा। क्योंकि धारावी के विकास के नाम पर लगभग सभी दलों ने विनाश ही किया है।

2013 में धारावी बचाओ आंदोलन हुवा था। लेकिन अब 8 साल बीतने के बाद भी कुछ नहीं हुवा। इस बीच युक्ति, आधाड़ी और अब महाविकास अघाड़ी सरकार के पैंतरे को धारावीकर समझ चुके हैं।

माया जाधव

गौरतलब है कि वर्ष 2013 में कुल 9 दिनों तक चले धारावी बचाओ आंदोलन में तत्कालीक सरकार (Government) ने 225 वर्ग फीट के बजाए 350 वर्ग फीट का पलैट देने की मंजुरी दी थी।

हालांकि 350 वर्ग फीट का पलैट भी किसी संयुक्त परिवार के लिए ना काफी है। 2013 में धारावी बचाओ आंदोलन हुए थे। लेकिन अब 8 साल बीतने के बाद भी धारावी की वही हालत है।

अशरफ शेख

इस मसौदे पर धारावी री-डेवलपमेंट (डीआरपी) प्रोजेक्ट लॉन किया गया, इस पर विचार आगे बढ़ा। इसके लिए निविदा भी आमंत्रित किया गया। लेकिन बिल्डिर लॉबी ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसे देखते हुए सरकार (Government) ने फिर से ग्लोबल निविदा मंगाई, जिसमें दुबई की एक कंपनी सामने आई थी।

उसे भी कुछ दिनों बाद उस समय कि सरकार ने नकार दिया। इसके बाद से धारावी के विकास पर काले बादल मंडरा रहे हैं। अब यह कह पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है कि धारावी का विकास होगा या?

2013 में धारावी बचाओ आंदोलन के दौरान कई लोगों ने भूख हड़ताल भी की थी। इनमें दिलीप कटके, माया जाधव (Maya Jadhav) और अशरफ शेख (Ashraf shaikh) थे। हालांकि इस आंदोलन में धारावी की अन्य संस्थाएं भी शामिल हुई थी। आंदोलनकारियों की मांगों के विपरीत सरकार ने फैसला लिया, जिसका नतीजा सामने है।

धारावीकरों की मांग थी की धारावी का विकास कलस्टर प्रोग्राम के तहत होने से लोगों को कम परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इस प्रोग्राम के तहत धारावी का विकास होता और सभी को घर भी मिलता। लेकिन धारावी री-डेवलपमेंट (डीआरपी) प्रोजेक्ट के तहत जमीन का अधिग्रहण किया गया।

मौजूदा समय में डीआरपी (DRP) की भूमि पर भू माफियाओं का राज कायम है। यहां मनपा जी नार्थ के अधिकारियों की मिली भगत से डीआरपी की अधिग्रहित भूमि पर अवैध रूप से दो और तीन मंजिले झोपड़ों को बनाने और बेचने का सिलसिला जारी है। इस तरह धारावी से बाहर के लेग भी धारावी के भविष्य को देखते हुए औने -पौने में झोपड़ा खरीद कर छोड़ रहे हैं।

इसके लिए फर्जी तौर पर फोटो पास भी बन जाता है। जबकि सरकारी अधिकारियों के मुताबिक 1994 के बाद फोटो पास बनना बंद हो चुका है। बावजूद इसके लोग ग्लोबल डेवलपमेंट हो या कलस्टर आने वाले दिनों में धारावी बड़ा बिजनेस सेंटर बनने वाला है। इस बात को ध्यान में रखते हुए झोपड़ा खरीद रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि मौजूदा समय में करीब 2 किलोमिटर से कि अधिक क्षेत्र फल में बसे धारावी की जनसंख्या 12 लाख के आस-पास है। यहां से सालाना अरबों – खरबों का कारोबार होता है। जिसके कारण मुंबई की चतुर कि बिल्डिर लॉबी धारावी के विकास के मुद्दे पर खामोश रहती है।

ताकि यहां के रहिवासी तंग आकर अपने झोपड़ों को बेच दें। संवाददाता द्वारा इस परिसर के दर्जनों लोगों से धारावी के विकास के मुद्दे पर चर्चा की, तो पता चला की सरकार के रवैये से धारावीकर नाखुश हैं।

चूंकि धारावी की अधिग्रहित जमीन पर मनपा के अधिकारियों की मिली भगत से भू माफियाओं ने झोपड़े बनाए और बेच दिए, जो कि विकास में बाधा का कारण बनेगा। यह सिलसिला अब भी जारी है।

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