पेपर लीक आपराधिक गिरोह का डाटाबेस बनाये पुलिस-विजय शंकर नायक

एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। पेपर लीक करने वाले संगठित अपराधीक गिरोहों का वृहद डाटाबेस बनाये झारखंड पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई।

उपरोक्त बाते 21 दिसंबर को आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं राज्य के पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता को एक पत्र भेजकर कही। उन्होंने कहा कि राज्य निर्माण के बाद जितने भी जेपीएससी/ जेएसएससी के माध्यम से परीक्षा लिए गये, उसमे बराबर पेपर लिक की घटना हुई। जिससे राज्य के छात्र, युवा, नौजवानो का भविष्य खतरे मे रहा है।

साथ हीं सरकार की प्रतिष्ठा भी धूमिल एवं झारखंड राज्य कलंकित हुआ है। फ्रेश परिक्षा नही होने के कारण राज्य मे दिन प्रतिदिन छात्र, युवा, बेरोजगार नौजवानो का आक्रोश आये दिन आन्दोलन के माध्यम से देखने को मिल रहा है।
नायक ने कहा कि मंच का मानना है कि राज्य सरकार पेपर लीक करने वाले संगठित अपराधिक गिरोहों का एक वृहद डाटाबेस झारखंड पुलिस की आर्थिक अपराध ईकाई के माध्यम से बनाने की दिशा में सकरात्मक ठोस पहल हो।

जिसमे पड़ोसी राज्य के मदद से उनके हुलिये से लेकर अन्य जानकारीयां जुटाई जाय। उक्त वृहद डाटाबेस को उत्तर प्रदेश, बिहार, ओड़िसा, हरियाणा, बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र जैसे राज्यो से साझा भी किया जाय, ताकि ऐसे गिरोहो की सतत निगरानी किया जा सके। नायक ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड लोकसेवा परीक्षा अधिनियम के तहत पेपर लीक में शामिल अपराधिक गिरोहों की सभी संपत्ति को जब्त किया जाय और ऐसे अपराधियों की फैमली ट्री (वंशावली) बनाकर काली कमाई का लाभ उठाने वाले पर भी कार्रवाई की जाए।

साथ ही साथ ऐसे अपराधियों के दादा से पोते तक की आय-व्यय का ब्यौरा निकालते हुए दोषी नाते-रिशतेदारो पर भी चार्ज शीट की जाए। इसमे आजीवन की सजा का प्रावधान हो तथा कोचिंग संस्थान के संचालको की भी संदिग्ध भूमिका को केन्द्र मे रखा जाए।

नायक ने कहा कि किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं की धांधली में अगर परीक्षा एजेंसी या केन्द्रों की भूमिका सामने आती है तो उनके सभी चल-अचल संपति भी जब्त किए जाए। साथ ही परीक्षा पर होने वाले सभी खर्च भी बतौर जुर्माना वसूला जाए। कम्प्युटर आधारित टेस्ट लेने वाली सभी पंजीकृत परीक्षा केंद्रो का भी डाटाबेस तैयार किया जाय तथा एजुकेशनल कंसल्टेंसी का भी डाटाबेस बनाया जाए। साथ ही इनका संपूर्ण ब्यौरा रजिस्टार आफ कंपनीज, जीएसटी आदि से प्राप्त किया जाए।

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