न हिन्दू न मुसलमान हूँ साहब,
मैं तो बस किसान हूँ साहब.!
खेत सूखे है बच्चे भूखे है,
मैं ग़मो का मारा इंसान हूँ साहब,,
मैं तो बस किसान हूँ साहब.!
लोग कहते है भारत की शान हो तुम,
पर मैं तो ढलती सूरज सी शाम हूँ साहब,,
मैं तो बस किसान हूँ साहब..!
खेतो मे कटता दिन धूप मे जलता बदन,
फिर भी कर्ज़ मे डूबा इंसान हूँ साहब,,
मैं तो बस किसान हूँ साहब..!
ये अखबारो की सुर्खिया खबरे मेरे मौत की,
यही मेरी नई पहचान है साहब,
मैं तो बस किसान हूँ साहब..!
1,021 total views, 1 views today