एस. पी. सक्सेना/मुजफ्फरपुर (बिहार)। राम भजन बाजार गोला रोड मुजफ्फरपुर में बीते 5 सितंबर को श्रीराम भजन कांवरिया सेवा शिविर के तत्वाधान में मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच द्वारा माँ एक शाम तेरे नाम कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का आयोजन बड़े स्तर पर किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार गोपाल भारतीय ने की। संचालन मगसम के संयोजक नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी तथा गोपाल भारती ने किया। इस अवसर पर काव्य गोष्ठी का प्रारंभ मुजफ्फरपुर की युवा कवियित्री सविता राज द्वारा सरस्वती वंदना एवं माँ आधारित रचना पाठ से की।
वंदना के उपरांत कवि सुधीर ने सभी उपस्थित साहित्यकारों को मगसम के मौलिक लक्ष्यों, उसके उद्देश्यों और उसकी कार्य प्रणाली के संबंध में विस्तार से बताया। उन्होंने इस तथ्य पर विशेष बल दिया कि मगसम में रचनाकारों से अधिक महत्व रचनाओं को दिया जाता है।
कवि सुधीर ने अपने वक्तव्य के उपरांत बारी-बारी से सभी उपस्थित साहित्यकार को माॅं पर सृजित रचना के पाठ हेतु मंच पर आमंत्रित किया। वहीं उनके द्वारा माॅं विषय पर आधारित रचनाओं का पाठ किया गया।काव्य गोष्ठी के अंतिम सत्र में सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जिसके प्रथम चरण में अध्यक्ष द्वारा तीन सबसे श्रेष्ठ रचना पाठ करने वाले साहिय्कारों को प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया गया।
जिसमें प्रथम स्थान सुमन कुमार मिश्रा, द्वितीय स्थान नर्मदेश्वर चौधरी और तृतीय स्थान युवा कवियित्री सविता राज ने प्राप्त की। इस अवसर पर काव्य गोष्ठी में पधारे सभी साहित्यकारों को सहभागिता सम्मान पत्र प्रदान किया गया। साहित्यकार नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी को मेडल देकर सम्मानित किया गया। एक पदाधिकारी होने के नाते उनको यह सम्मान दिया गया।
इस अवसर पर गोष्ठी के अध्यक्ष ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में साहित्य सृजन की लौकिक भूमिका और महत्व पर प्रकाश डाला तथा उसके सूक्ष्म बिन्दुओं को रेखांकित किया। रचनाकार परमानंद पांडेय के धन्यवाद ज्ञापन के बाद गोष्ठी का विधिवत समापन किया गया। इस प्रकार यह विशेष गोष्ठी साहित्यिक सौहार्द के साथ सम्पन्न हो गया।
अपराह्न तीन बजे प्रारम्भ हुई यह गोष्ठी लगभग साढ़े तीन घंटे तक चली।
गोष्ठी में सुधीर सिंह की हृदय स्पर्शी रचना मेरा कमरा कब तेरा हो गया, नहीं ये जान न पाया को जमकर प्रशंसा मिली। रवि प्रकाश वोहरा की पक्तियां हर कष्ट में माँ मैंने तुझे पुकारा है, तूने भी हर वक्त मुझे दिया सहारा है ने जमकर तालियां बटोरी। गोपाल भारतीय की रचना भारत-भू की मथुरा नगरी, कारा की दीवारें, जहां देवकी माँ से जन्में सुंदर श्याम सलोने ने उपस्थित जनों की प्रशंसा बटोरी।
डॉ नर्मदेश्वर चौधरी की गजल कदमों के नीचे माँ के तो जन्नत है, सोच लें, दर्जा बड़ा है माँ का बताती थी मेरी माँ ने खूब वाह वाही बटोरी। अंजनी कुमार पाठक की पंक्तियां जब जब कष्ट है होता, माँ की याद आती है को भी भरपूर तारीफ मिली। कवियित्री सविता राज की कविता माँ के प्यार सा संबल नहीं जहां में ने प्रफुल्लित कर दिया।
सुमन कुमार मिश्र की कविता जिसके चरण स्पर्श स्वर्ग हो, वो तो बस माँ हीं होती है अति प्रशंसनीय थी। प्रमोद नारायण मिश्र ने माँ तो माँ होती है, अच्छी या बुरी नहीं ने तालियां बटोरी। उमेश राज की रचना ओ माँ मेरी प्यारी तू क्यों मुझसे रूठी है को भी तारीफ मिली। आलोक कुमार अभिषेक की रचना माता समझ न आए मैं तेरा ऋण चुकाऊं कैसे? बहुत ही सराहनीय थी। सूबेदार नंदकिशोर साहु ने अपनी रचना अनमोल जिंदगी का सूत्रधार मेरी मां प्रस्तुत की।
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