विजय कुमार साव/गोमियां (बोकारो)। देश के कोयला उद्योग को निजी पूंजीपतियों को देने की साजिश की जा रही है। भारत सरकार के इशारे पर कोल इंडिया पूरे कोयला उद्योग को एमडीओ मॉडल और रेवेन्यू शेयरिंग पर चलाने की साजिश कर रही है, जिसका पुरजोर विरोध सीटू समेत सभी मजदूर संगठन करेगी।
उक्त बातें बोकारो जिला के हद में सीसीएल कथारा क्षेत्र के स्वांग-गोविंदपुर फेस-2 में आयोजित एनसीओईए (सीटू) के नेतृत्व में आयोजित कोयला मजदूरों की पीट मीटिंग में सीटू के अतिरिक्त महासचिव सह सीसीएल वेलफेयर बोर्ड के सदस्य प्रदीप कुमार विश्वास ने 7 अगस्त को कही। इस अवसर पर यहां सीटू से संबद्ध एनसीओईए द्वारा पीट मीटिंग का आयोजन किया गया था। पीट मीटिंग की अध्यक्षता सीटू स्वांग शाखा अध्यक्ष राजकुमार मल्ला ने की।
पीट मीटिंग को संबोधित करते हुए पीके विश्वास ने कहा कि भारत सरकार के इशारे पर कोल इंडिया पूरे कोयला उद्योग को निजी पूंजीपतियों को देने की साजिश रच रही है। उन्होंने कहा कि एमडीओ मॉडल के आधार पर कोलियरीयों के संसाधन को आउटसोर्सिंग कंपनी, निजी मालिकों को सौंप दिया जाएगा।
कहा कि आउटसोर्सिंग कंपनी और निजी मालिक कोलियरी के संसाधन का ही उपयोग कर भारी मुनाफा कमाएंगे। उन्होंने कहा कि रेवेन्यू शेयरिंग के आधार पर सरकार नए कोलियरी को खोलना चाहती है, जिस पर पूरा उत्पादन निजी मालिक, निजी कंपनी करेंगे और उक्त उत्पादित कोयले को भी वे हीं बेचने का अधिकार रखेंगे।
उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों मे एमडीओ मॉडल और रेवेन्यू शेयरिंग के आधार पर कोलियरी का संचालन होगा। ऐसी स्थिति में आज जो स्थाई मजदूर कोयला उद्योग में लगे हुए हैं उनकी जरूरत खत्म हो जाएगी। कोयला उद्योग का मुनाफा आज जो भारत सरकार तक जा रहा है वह निजी कंपनियों तक सीमित रह जाएग।
सीएसआर के तहत आसपास के इलाकों का जो विकास हो रहा है, इसकी जवाबदेही खत्म हो जाएगी। विस्थापन नीति के तहत विस्थापितों को नौकरी दी जा रही है इस प्रावधान पर रोक लगेगा।
सीटू नेता राकेश कुमार एवं गौतम राम ने कहा कि सीटू चाहती है कि कोयला उद्योग भारत सरकार के नियंत्रण में रहे, लेकिन भारत सरकार यह नहीं चाहती है। वह इस नियंत्रण को निजी हाथों में सौंपना चाहती है।मौके पर पीट मीटिंग में दर्जनों कामगार मौजूद थे।
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