तीन माह पूर्व बना पेसा नियमावली फाइलो में सिमटकर रह गयी-विजय शंकर नायक

एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। तीन माह पूर्व पेसा नियमावली 2022 झारखंड की हेमंत सरकार ने बनाई थी। मगर वह आज तक लागु न होकर मात्र नियमावली ही बन कर फाइलो में सिमटकर रह गई है। उपरोक्त बातें संपूर्ण भारत क्रांति पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सह झारखंड, छत्तीसगढ़ प्रभारी विजय शंकर नायक ने 24 जनवरी को एक भेंट में कही।

नायक ने कहा कि संविधान की पांचवी अनुसूची के तहत पेसा कानून की नियमावली बनाकर लागू आज तक हेमंत सोरेन सरकार ने नहीं की, जिसकी संपूर्ण भारत क्रांति पार्टी कड़े शब्दों में निंदा करता है। साथ हीं हेमंत सरकार से मांग करता है कि संविधान की पांचवी अनुसूची के तहत पेसा कानून नियमावली बनाकर तुरंत लागू करे।

साथ हीं सरकार अपनी प्रतिबद्धता एवं संकल्प व्यक्त कर इसे कैबिनेट से पास करा कर अधिसूचना जारी करे, तभी पेसा अधिनियम को लागू कर ग्राम सभा को मजबूत कर अबुआ दिशुम अबुवा राज के सपनों को पूरा किया जा सकता है।

नायक ने कहा कि पंचायती राज विभाग के अधिकारी एवं पदाधिकारियों ने दिन रात एक कर इस पेसा नियमावली को तैयार किया था, मगर सरकार द्वारा आज तक इसे लागू करने की दिशा में कोई ठोस सकारात्मक पहल नहीं किया जाना आदिवासी मूलवासी समाज के साथ धोखा है, जिसे अब बर्दाश्त नही किया जायेगा।

नायक ने कहा कि अब इसे लागु करवाने की दिशा मे झारखंड के आदिवासी मूलवासी समाज को नए सिरे से आंदोलन की रणनीति बनाने की आवश्यकता है, ताकि पेसा कानून को लागू करने में हेमंत सरकार द्वारा टालमटोल करने की नीति को करारा प्रहार किया जा सके।

उन्होंने कहा कि राज्य के मुखिया हेमंत सोरेन को संविधान के पांचवी अनुसूची के तहत पेसा कानून की नियमावली बना कर लागू करने हेतु प्रथम चरण मे बिना देर किए ही इसे झारखंड के मुख्य सचिव को भेजकर इसमे उनकी सहमति प्राप्त कर विभागीय मन्त्री से अनुमोदन सहमती लेकर मुख्यमंत्री अपने पास मंगा कर अनुमोदन की स्वीकृत कर इसे कैबिनेट में लाकर कैबिनेट से पास करा कर अधिसूचना जारी कराया।

तब ही ग्राम सभा को मजबूत करने का सपना पुरा होगा और अबुवा दिशुम अबुआ राज के सपनो को धरातल में उतारा जा सकेगा।
नायक ने कहा कि पुलिस द्वारा किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने पर ग्राम सभा को 48 घन्टा में गिरफ्तारी की सूचना देने को अनिवार्य किया गया है। इसे घटाकर 6 घंटा किया जाए।

जो ग्राम सभा को गलत व् अवैध तरिके से लिए गए आदिवासी जमीन को वापस कराने या लेने का अधिकार दिया गया है उसमे अनुसूचित जाति को भी जोड़ा जाना चाहिए। कहा कि ग्राम सभा अधिनियम के दायरे मे रहने वाले दलित समाज से गलत एवं अवैध तरिके से लिए या हड़पे गये भूमि को भी वापस करने के कानून को शामिल किया जाए।

सीएनटी/एसपीटी एक्ट मे आने वाले सभी मूलवासी समाज को भी इस कानून मे लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ग्राम सभा के एक तिहाई कोरम को पुरा करने के लिए अनु.जाति के सदस्यो को भी अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना चाहिए, ताकि पेशा कानून मे समस्त झारखंडी समाज का भला हो सके।

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