भ्रष्टाचार की आदि बन गया है वैशाली की जनता

गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर (वैशाली)। वैशाली के जिलाधिकारी यशपाल मीणा को जिले में पदस्थापना के नौ-दस महीने होनेवाला है। इनके आने के बाद जिले की प्रशासनिक व्यवस्था की सूरत बदली है।

वैशाली जिला के आम जनता के बीच जिलाधिकारी मीणा की छवि एक ईमानदार और कर्मठ अधिकारी के रूप में कायम हुई है। यहां के रहिवासियों का मानना है कि बहुत दिनों बाद वैशाली जिले को एक अच्छा कलक्टर मिला है। जो आम जनता के हीत में काम करता है।

बताया जाता है कि जिलाधिकारी मीणा प्रातः नौ बजे से शाम नौ बजे तक जिले में काम करते हुए देखे जा सकते हैं। मीणा जिले के शायद पहले कलक्टर हैं जो सुदूर पातेपुर और गंगा दियारे के राघोपुर सहित सभी प्रखंडो और पंचायतों की कार्यप्रणाली का निरीक्षण कर चुके हैं। लेकिन भ्रष्ट प्रशासनिक व्यवस्था इनके सारे मेहनत पर पानी फेर दे रही है।

बिहार में शराब बन्दी के बाद निबंधन विभाग ही सरकार को सबसे अधिक राजस्व दे रहा है। बिहार में सबसे अधिक जमीन खरीद बिक्री पर कर लिया जाता है। यहां के गणमान्य रहिवासियों का मानना है कि पुलिस विभाग के बाद सबसे अधिक भ्रष्टाचार जमीन का ख़रीद बिक्री से लेकर निबंधन विभाग और राजस्व कर्मचारी से लेकर अंचल और भूमि से सम्बंधित उच्च पदाधिकारियों तक है।

इस दिशा में वैशाली के जिलाधिकारी राजस्व कर्मचारी से लेकर अधिकारियों तक हड़काते रहते है, लेकिन इसका कहीं कहीं उल्टा असर भी हो रहा है।

वैशाली जिला मुख्यालय हाजीपुर समाहरणालय परिसर स्थित कार्यालयों के कर्मचारी सतर्क हुए हैं, लेकिन नजायज या घुस का रेट भी बढ़ गया है। जिसमें गरीब जनता पीस रही है।

जिला व्यवहार न्ययालय हाजीपुर के अधिवक्ता संजीव कुमार शर्मा ने बताया कि जिला पदाधिकारी के डर से समाहरणालय परिसर स्थित राजस्व अभिलेखागार से नाजायज कर्मी को भगा दिया गया। लेकिन इस शाखा में कर्मियों की संख्या कम है।

जिस वजह से एक सामान्य व्यक्ति को तीन महीना हो जाने पर भी खतियान का नकल नही मिल रहा है। अधिवक्ता के अनुसार जो व्यक्ति 1000 रुपये से 15 सौ रुपये खर्च करता है, उसको खतियान का नकल एक से दो दिन में मिल जाता है। पहले खतियान का नकल जहाँ सौ डेढ़ सौ में मिल जाता था, वहां अब जनता को हजार-पन्द्रह सौ खर्च करना पड़ता है।

यही हाल निबंधन कार्यालय हाजीपुर का भी है। जहाँ पहले केवाला का नकल सात आठ सौ में मिल जाता था। अब 15 सौ में निकल रहा है। कार्यपालक दंडाधिकारी के यहां प्रति शपथ पत्र 50 रुपये नाजायज देना पड़ता है।संजीव कुमार अधिवक्ता ने दु:खी मन से बताया कि यहां की आम जनता, नेता, सरकारी कर्मी, सभी भ्रष्ट हो चुके हैं। यहां के आमजनों को इसमें जीने की आदत हो गईं है। जिसके पास पैसा है अब उसी को न्याय मीलेगा।

एक अन्य अधिवक्ता पशुपति कुमार शर्मा ने खतियान वास्ते नकलखाने में नकल वास्ते दाखिल चिरकुट 30 नबम्बर 2022 का दिखाया गया। एक दूसरे अधिवक्ता ने चार चिरकुट 20 दिसम्बर का दिखाया और बताया कि उन्हें अभी तक खतियान का नकल नही मिला है। इस बावत नकलखाने में पूछने पर बताया गया कि क्लक्टर साहब ने नकल तैयार करने बाले नाजायज को भगा दिया गया है।

नकलवास्ते सिर्फ एक महिला कर्मी है। जब नकल तैयार होगा तभी मिलेगा। इन अधिवक्ताओं ने बताया कि नकल नही मिलने से गरीब न्यायार्थी का कार्य रुका हुआ है, जबकि हजार- पन्द्रह सौ खर्च करने करनेवाले का काम हो रहा है। कुछ अधिवक्ताओं ने यह भी बताया कि सभी कार्यालयों के यही हाल है। वैशाली जिले का जनता भी अब भ्रष्टाचार में जीने की आदि होती जा रही है।

 

 283 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *