भाषा अतिक्रमण के विरोध में बगोदर में उमड़ा जन सैलाब

प्रहरी संवाददाता/बगोदर (गिरिडीह)। भाषा अतिक्रमण के खिलाफ तथा 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू किये जाने की मांग को लेकर 12 फरवरी को झारखंडी भाषा संघर्ष समिति बगोदर ईकाई द्वारा बगोदर में विशाल रैली व सभा की गई।

जिसमें बगोदर पूर्वी जोन से आये हुजूम ने बगोदरडीह हटियाटांड से रैली निकाल कर तथा पश्चिमी जोन से आये लोगों ने मंझिलाडीह से रैली निकाल कर बगोदर बस पडाव सभा स्थल पहुंचे।

इस दौरान लोगों ने झारखंड में बाहरी भाषा न चलतो, 1932 के खतियान लागू करो, हेमंत सोरेन मुर्दा बाद समेत कई नारे लगा रहे थे। साथ में आन्दोलनकारी कई स्लोगन लिखे हाथ में तख्ती लिये हुए थे। बस पडाव पहुंचते ही एक विशाल जन सभा में तब्दील हो गई।

इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि टाइगर जयराम महतो ने कहा कि साजिश के तहत झारखंड (Jharkhand) की भाषा व अस्मिता को नजर अंदाज किया जा रहा है। इसकी जगह पिछले दरवाजे से बाहरी भाषा भोजपूरी, मगही, अंगीका और मैथिली भाषा को झारखंड में मान्यता दी जा रही है।

महतो ने कहा कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Jharkhand CM Hemant Soren) की सोंची समझी रणनीति है। यह सब यहां नही चलने दिया जायेगा। मौजूदा सरकार (Government) हमारी अस्मिता माटी व भाषा को दरकिनार करने का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि मुंबई, गुजरात, बंगाल, तमिलनाडु, नागलैंड सहित अन्य राज्यों ने अपनी भाषा के कारण विकास किया है।

झारखंड भी अपनी भाषा के कारण ही विकास करेगा। भाषा की लडाई झारखंडीयो की अस्मिता की लडाई है। झारखंड के सभी नौकरियों पर झारखंडीयो का अधिकार है।यह अधिकार उन्हें मिलना चाहिए।

झारखंड के पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि 21 साल के बाद भी यहां स्थानीय नीति लागू नही हुई। किसी भी दल के मुख्यमंत्री ने ये नही चाहा कि स्थानीय नीति बने।सभी ने हमलोगों के साथ धोखा किया है। वही तीर्थनाथ आकाश ने कहा कि कुुुदाल से लेकर कलम तक लडाई जारी रहेगा।

अगर इस लडाई को लडते लडते मुझेे कुछ हो गया तो उन गद्दारों को अर्थि उठाने नही देना। मै अपने झाारखंडीयो के लिए अगर मरना पडे तो हंसते हंंसते भगत सिंह और तिलका मांझी जैसे फांसी के फंदे पर चढने को तैयार हूूं। कार्यक्रम की अध्यक्षता भाषा सीमति के अध्यक्ष लखन मेहता ने किया, जबकि संचालन दिनेेेेश साहु ने किया।

कार्यक्रम में छोटन प्रसाद छात्र, कुलदीप महतो, संजय महतो, नीतीश पटेल, जितेन्द्र महतो, जितेन्द्र पटेल, जितेन्द्र साव, मनोज महतो, नारयण महतो, तुलसी तालवार, उमेश आदर्श, अजय कुमार महतो, त्रिभुवन महतो, पुरन कुमार महतो, मोतीलाल महतो समेत हजारों की संख्या लोग शामिल थे।

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