प्रहरी संवाददाता/विष्णुगढ (हजारीबाग)। विष्णुगढ़ प्रखंड के हद में भेलवारा पंचायत की रहनेवाली पार्वती देवी ने सोहराय पर्व के उपलक्ष में अपने घर की दीवारो पर अपने हाथो से झारखंड के सांस्कृतिक पहचान को उकेरकर सोहराय कला को नयी पहचान दिलायी हैं। वह पिछले 20 वर्षो से अपनी चित्रकारी कला के माध्यम से अपने जिले के साथ-साथ दूसरे राज्य में भी अपना अमिट छाप छोड़ चुकी है।
जैसा कि सोहराय कला सदियों पुरानी कला होने के साथ ही सभी कला से अलग है। ग़ौरतलब है कि, इसे सभी प्राकृतिक रंगों को मूलतः मिट्टी से बनाया जाता है। आदिवासी महिलाएं खुद अपने घरों में इन रंगों को तैयार करती हैं।
बीइस कला में इस्तेमाल की जाने वाली मिट्टी को भी गांव की महिलाएं घर लाकर पीस कर तैयार करती हैं। आमतौर पर दिवाली या काली पूजा के साथ होने वाले फसल उत्सव सोहराई को चिह्नित करने के लिए घरों की दीवारों को भित्ति चित्र के रूप में पेंट करती है। साथ ही पार्वती देवी ने क्षेत्र के तमाम रहिवासियों को इस कला संदेश के साथ सोहराय पर्व की शुभकामनाएं दी है।
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