संतोष कुमार/वैशाली(बिहार)। वैशाली जिला (Vaishali district) के हद में लोमा एवं बेझा गांव के बीच का जर्जर पंचायत भवन अपनी दुर्दशा की कहानी खुद बयां कर रहा है। जनप्रतिनिधियों की अपेक्षा के कारण अब उक्त पंचायत भवन में इंसानो की जगह जहरीले जीव जन्तुओं ने वसेरा बना लिया है।
स्थानीय एक युवा समाजसेवी ने पंचायत के जनप्रतिनिधियों पर अपनी भरास निकाली है। देखा जाए तो यह प्रतिक्रिया जो आक्रोशपूर्ण है जायज़ भी है। समाजसेवी अविनाश पांडेय (Avinash Pandey) जिले के हाजीपुर प्रखंड की चकूंदा उर्फ मिल्की पंचायत के निवासी है। उन्होंने और इनके कई युवा मित्रों ने बताया कि उनके पूर्वजों की कृति अब जनहित के काम नहीं आ रही है। उससे पंचायत सरकार को भी किसी तरह का फायदा नहीं हुआ, जो कहीं न कहीं पंचायत के विकास में रोड़ा बना। साथ ही अन्य किसी जगह पर पंचायत का कार्यालय होना इस कार्यकाल से लेकर पिछले कई कार्यकालों में जनहित सन्दर्भ में असुविधा का घोर कारक साबित हुआ। मामला बेझा और लोमा ग्राम के बीचोबीच स्थित पुराने पंचायत भवन की जर्जर स्थिति से जुड़ा बताया गया है। समाजसेवी पांडेय ने कहा कि एक तो कई मुखिया आए और उनका कार्यकाल भी समाप्त हुआ, लेकिन पंचायत भवन की जर्जर स्थिति को दुरुस्त नहीं किया जा सका। एक पंचायत भवन नहीं बनाया जा सका। जबकि वर्तमान मुखिया अर्चना देवी के विषय में बताया कि उन्होंने तो पदभार संभालते ही इस भवन निर्माण को प्राथमिक सूची में घोषित किया था। अब भी जनप्रतिनिधियों की लापरवाही को यह जर्जर पंचायत भवन दर्शा रहा है। इस संदर्भ में वर्तमान जनप्रतिनिधियों से बात नहीं हुई है। हालांकि अधिकांश लोग इसे लापरवाह सोंच के दायरे में समझते हैं। जैसा कि बेझा और लोमा गांव के रहिवासियों ने इस मसले पर जिस तरह से अपना आक्रोश पूर्ण पक्ष रखा है। ग्रामीणों तथा समाजसेवी युवक पांडेय का कहना है कि अब वे प्रखंड विकास अधिकारी के पास मसले को लेकर पहुंचेंगे ताकि पूर्वजों की देन फिर से जनहित में सक्रिय भागीदारी निभा सके।
478 total views, 2 views today