नंद कुमार सिंह/फुसरो (बोकारो)। बोकारो जिला (Bokaro district) के हद में सीसीएल (CCL) के केंद्रीय अस्पताल ढोरी के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर शादाब अहमद ने ढोरी के साथ साथ बेरमो कोयलांचल को गौरवान्वित किया है।
इनका एक शोध वालटरस कुलुवर (मैडनो) में प्रकाशित हुआ है। जिसका शीर्षक “ए क्लीनिकल स्टडी ऑफ द मैनेजमेंट ऑफ फ्रैक्चर साफ्ट ऑफ कलाविकल बाई डिफरेंट मोडालिसिस” है। कहा गया है कि एक नैदानिक अध्ययन हंसली के फ्रैक्चर की उच्च आवृत्ति के बावजूद, उचित उपचार का चुनाव अभी भी आर्थोपेडिक सर्जन के लिए एक चुनौती है।
डॉ शादाब (Dr Shadab) ने कहा कि इस समीक्षा के साथ, हम चोटों की गंभीरता के संबंध में बुनियादी महामारी विज्ञान, शरीर रचना विज्ञान, वर्गीकरण, मूल्यांकन और सर्जिकल उपचार के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। रूढ़िवादी और शल्य चिकित्सा प्रबंधन दोनों संभव हैं।
उन्होंने कहा कि सर्जनों को जीव विज्ञान, कार्यात्मक मांग और घाव के प्रकार के अनुसार सबसे उपयुक्त प्रबंधन पद्धति का चयन करना चाहिए। रूढ़िवादी या शल्य चिकित्सा प्रबंधन के लिए मानदंड स्पष्ट रूप से स्थापित नहीं है। इसलिए, इन फ्रैक्चर के उचित प्रबंधन को कई कारकों पर विचार करना चाहिए।
मुख्य रूप से रोगी की जैविक आयु, कार्यात्मक मांग और घाव का प्रकार। इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि गैर-ऑपरेटिव रूप से इलाज किए गए विशेष रूप से विस्थापित या छोटे मिडशाफ्ट फ्रैक्चर का परिणाम इष्टतम नहीं है। जैसा कि एक बार सोचा गया था।
वर्ष 1997 में हिल एट अल। विस्थापित मिडशाफ्ट क्लैविक फ्रैक्चर वाले 66 लगातार रोगियों की जांच करने के लिए रोगी-उन्मुख परिणाम उपायों का उपयोग करने वाले पहले थे।
उन्होंने पाया कि 31 प्रतिशत में एक असंतोषजनक परिणाम के साथ-साथ 15 प्रतिशत अच्छे परिणामों के साथ उच्च दर और कम जटिलता के साथ विस्थापितों के प्राथमिक निर्धारण के लिए विभिन्न तकनीकों से रिपोर्ट किया गया है हंसली के फ्रैक्चर।
ज़्लोवोड्ज़की एट अल। मेटा-विश्लेषण ने गैर-संचालन उपचार की तुलना में प्राथमिक प्लेट निर्धारण के साथ गैर-संघ के लिए 86 प्रतिशत की सापेक्ष जोखिम में कमी देखी गयी।
डॉक्टर शादाब ने कहा कि पूरे झारखंड (Jharkhand) से सिर्फ उनका ही नाम का प्रकाशित हुआ है। उनके दर्जनों शुभचिंतकों ने इसके लिए उन्हें कोटिशः बधाई दी है।
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