मिश्रा साइड जैनामोड़ मे शिव महापुराण कथा का आयोजन

भाजपा नेता प्रकाश सिंह ने रहिवासियों की सुख समृद्धि व शांति के लिए की प्रार्थना

एन. के. सिंह/फुसरो (बोकारो)। बोकारो जिला के हद में जैनामोड़ मिश्रा साइड स्थित श्रीश्री 108 बाबा नर्मदेश्वर धाम में एकादशी कुंडली रुद्र महायज्ञ और शिव महापुराण की कथा का आयोजन किया जा रहा है। महायज्ञ में वृन्दावन के प्रसिद्ध संत बसंत नारायण शास्त्री शिव महापुराण कथा में उमड़ने वाले श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार बीते 22 फरवरी की देर संध्या बेरमो के भाजपा नेता प्रकाश सिंह यज्ञ स्थल पहुंचकर माथा टेका और बेरमो क्षेत्र के रहिवासियों की सुख समृद्धि व शांति के साथ अमन चैन की कामना की। उन्होंने क्षेत्र के रहिवासियों में सदबुद्धि व ज्ञान के लिए प्रार्थना की और संत बसंत नारायण शास्त्री द्वारा दिए गए प्रवचनरूपी ज्ञान का रसपान किया।

कथा श्रवण के अवसर पर शास्त्री द्वारा प्रस्तुत भजनों पर श्रद्धालूगण झूमते रहे। जिसके चलते क्षेत्र में भक्ति का वातावरण बन गया।
इस अवसर पर शास्त्री महाराज ने कहा कि आज हम देखते हैं कि विश्व के हर भाग में अशांति व्याप्त है। इस अशांति के विभिन्न कारण अर्थव्यवस्था, राजनीति और धर्म की गलत व्याख्या इत्यादि है। इन सब का परिणाम है कि हर मानव दूसरे को अपना शत्रु समझ रहा है।

इसी से समाज में अशांति व्याप्त होती जा रही है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के अनुसार इस संसार में बैर से बैर कभी शांत नहीं होता है। अबैर से बैर शांत होता है। शत्रुता से शत्रुता समाप्त नहीं होती और क्रोध से क्रोध समाप्त नहीं होता है। यह सब जितना ही हमारे अंदर बढ़ता जाता है, उतना ही हम अपने हाथों अपने चारों तरफ नर्क निर्मित करते जाते हैं।

संतश्री ने कहा कि नर्क कहीं और नहीं है, शत्रुता में जीना ही नर्क है। हम जितनी बड़ी शत्रुता अपने चारों ओर बनाते हैं, हमारा नर्क उतना ही बड़ा हो जाता है। इसके विपरीत हम जितनी बड़ी मित्रता अपने चारों ओर बनाते हैं, उतना ही बड़ा स्वर्ग हमारे आसपास निर्मित हो जाता है। दरअसल स्वर्ग और नर्क कोई भौगोलिक स्थानों का नाम नहीं है। यह मानव जीवन का मनोदशा है।

मित्रता के भाव और मित्रों के बीच जीने का नाम ही स्वर्ग है. शत्रुता का भाव शत्रुओं के बीच जीने का नाम नर्क है। संत महाराज ने अंत में समझाया कि हम खुद भी दूसरों से बैर भाव रखते हैं। हम जीवन ऐसे जीते हैं, जैसे हमें यहां सदा ही रहना है। हमसे यहीं भूल हो जाती है।

लेकिन जो यह समझ लेता है कि एक दिन हम सब संसार में नहीं रहेंगे। उसे संसार में रहने का सही ढंग आ जाता है। शास्त्री महाराज ने कहा कि जीवन का सार श्रीगुरु ग्रंथ साहिब में इस प्रकार से वर्णित है कि जिन्ह प्रेम कियो, तिन ही प्रभु पायो। इसलिए सदा केवल प्रेम करो। इसी में हमारा कल्याण संभव है। आयोजन को सफल बनाने में प्रभात मिश्रा, विजय मिश्रा, विक्की मिश्रा, कार्तिक मिश्रा, रितेश मिश्रा, सिद्धार्थ मिश्रा आदि का सराहनीय योगदान रहा।

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