करगली रीजनल अस्पताल को सेंट्रल हॉस्पिटल ढोरी में मर्ज करने का विरोध

एन. के. सिंह/फूसरो (बोकारो)। बोकारो जिला के हद में सीसीएल बीएंडके एरिया के करगली रीजनल अस्पताल को सेंट्रल हॉस्पिटल ढोरी में मर्ज करने का 15 अप्रैल को जमकर विरोध किया गया। आरसीएमयू बीएंडके क्षेत्र द्वारा विरोध-प्रदर्शन कर प्रबंधन को ज्ञापन सौपा गया।

इस अवसर पर यूनियन के क्षेत्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने कोयला चोर महाप्रबंधक मुर्दाबाद का नारा लगाया। क्षेत्रिय सचिव श्यामल कुमार सरकार ने सीसीएल सीएमएस का जमकर विरोध किया। उपस्थित सभी नेताओं ने रिजनल अस्पताल करगली का सेंट्रल हॉस्पिटल ढ़ोरी में मर्ज करने का विरोध किया और कहा कि किसी भी कीमत पर अस्पताल को शिफ्ट नहीं होने देंगे।

मौके पर छेदी नोनिया, प्रताप सिंह, रोशन सिंह, अशोक अग्रवाल, अरुंजय सिंह, निरंजन सिंह, डोमन पासवान, जमील अंसारी, जयनाथ तांती, सुरेंद्र विश्वकर्मा, अजीत सिंह, मनोज मंडल, शरण सिंह राणा, महिला नेत्री खुशबू सिंह उर्फ पम्मी सिंह सहित सैकड़ो समर्थक उपस्थित थे।

बताते चले कि सीसीएल अंतर्गत बीएंडके एरिया के करगली रीजनल अस्पताल की इमरजेंसी सेवा बगल के सेंट्रल हॉस्पिटल ढोरी में अस्थायी रूप से शिफ्ट होगी। इस संबंध में सीसीएल के सीएमएस डॉ रत्नेश जैन ने बीते 10 अप्रैल को ऑफिस आर्डर जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि 15 अप्रैल से इमरजेंसी सेवा केंद्रीय अस्पताल ढोरी में उपलब्ध होगी। करगली रीजनल अस्पताल के एरिया मेडिकल ऑफिसर केंद्रीय अस्पताल ढोरी के चीफ मेडिकल ऑफिसर के साथ इमरजेंसी सेवा के तहत स्टाफ, इक्यूपमेंट व अन्य रिसोर्स को लेकर को-ऑर्डिनेट करेंगे। पूरी शिफ्टिंग की रिपोर्ट 20 अप्रैल तक प्रस्तुत करने को कहा गया है।

यूनियन के अनुसार करगली रीजनल अस्पताल में इमरजेंसी सेवा बंद होने के बाद अब ट्रामा, हार्ट अटैक, सर्जरी, मेडिसिन सहित कई तरह की इमरजेंसी सेवा का लाभ बीएंडके एरिया के कोल कर्मियों तथा गैर कोल कर्मियों को नहीं मिल पायेगा। अब यह सारी इमरजेंसी सेवा के लिए ढोरी सेंट्रल हॉस्पीटल जाना पड़ेगा। कहा गया कि बीएंडके एरिया कोयला उत्पादन में पूरे सीसीएल में चौथा स्थान रखता है। चालू वित्तीय वर्ष में एरिया का उत्पादन लक्ष्य 11.8 मिलियन टन है। एरिया करोड़ों रुपये के मुनाफे में चल रहा है, लेकिन एक-एक कर यहां के अस्पतालों को डिस्पेंसरी बना दिया जा रहा है।

करगली रीजनल अस्पताल पर एरिया की 50 हजार से ज्यादा की आबादी चिकित्सा सेवा के लिए निर्भर है, लेकिन अब यहां न तो एक्स-रे व इसीजी हो रहा है और न ही अब इमरजेंसी सेवा का लाभ मिलेगा। इस एरिया में कोल कर्मियों की संख्या दो हजार से ज्यादा है।

मालूम हो कि सात-आठ साल पहले बीएंडके एरिया की बोकारो कोलियरी में छह दशक पुराना गांधीनगर अस्पताल को बंद कर यहां खासमहल से कृष्णा सुदर्शन सेंट्रल स्कूल को शिफ्ट कर दिया गया था। जबकि गांधीनगर अस्पताल की जगह बोकारो कोलियरी ऑफिस के निकट एक डिस्पेंसरी खोल दी गयी। फिलहाल यहां दो चिकित्सक पदस्थापित हैं।

इसके अलावा एरिया अंतर्गत जवाहरनगर डिस्पेंसरी है, जहां एक भी चिकित्सक नहीं है। करगली रीजनल अस्पताल के ही चिकित्सक वहां बैठते हैं। खासमहल डिस्पेंसरी को बंद कर दिया गया। कहा गया कि करगली रीजनल अस्पताल मात्र तीन चिकित्सक के भरोसे चल रहा है। इसमें एरिया मेडिकल ऑफिसर डॉ संतोष कुमार, डॉ ए ए कुजूर और डॉ मुकेश रामू दास हैं। डॉ संतोष 31 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो जायेंगे।

अस्पताल के तीन चिकित्सक पीजी की पढ़ाई करने के लिए स्टडी लीव पर चले गये हैं। इसमें डॉ रश्मि राशि नालंदा मेडिकल कॉलेज एमडी एनसथेसिया की पढ़ाई करने, डॉ प्रिया रानी जयपुर एमडी की पढ़ाई करने तथा डॉ इंद्र भूषण सिंह बीसीसीएल में पीजी (डीएनबी) की पढ़ाई करने गये हैं।

संभवत: चिकित्सकों की कमी को देखते हुए इस अस्पताल में इमरजेंसी सेवा बंद करने का निर्णय लिया गया है। एनसीडीसी के समय से संचालित यह अस्पताल 50 बेड का है। यहां एक बडा ऑपरेशन थियेटर है। ऑर्थो का ओटी है। एक्स-रे विभाग में एक कर्मी है, जिन्हें ट्रेंड किया जा रहा है। इसीजी में एक केटेगेरी वन मजदूर को ट्रेंड किया जा रहा है। लेब्रोरेट्री में तीन टेक्निशियन हैं। इस अस्पताल के अधीन चार एबुलेंस है, जिसमें से दो अस्पताल के लिए तथा दो माइंस के लिए हैं।

 

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