एस. पी. सक्सेना/मुजफ्फरपुर (बिहार)। कलम के जादूगर व् भारतीय हिंदी साहित्य को दिशा देनेवाले महान साहित्यकार प्रेमचंद की 144वीं जयंती के अवसर पर महिला शिल्प कला भवन महाविद्यालय में 31 जुलाई को हिंदी विभाग की ओर से ऑनलाइन एकल व्याख्यान का आयोजन किया गया।
उक्त जानकारी देते हुए मुजफ्फरपुर की युवा कवियित्री सविता राज ने कहा कि इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में दार्जिलिंग गवर्नमेंट कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ श्रद्धांजलि सिंह उपस्थित हुई। उन्होंने अपने व्याख्यान में प्रेमचंद का नारी विषयक दृष्टिकोण विषय पर अपने विचार व्यक्त की। साथ ही यह भी कहा कि प्रेमचंद का साहित्य तनाव व लगाव का साहित्य है।
उनके अप्रोच की यह विशेषता है कि वो हाशिए और केंद्र को मिलाना चाहते हैं। साथ ही उन्होंने तीन बिंदुओं के इर्द-गिर्द अपने व्याख्यान को प्रस्तुत किया।, जिसमें उन्होंने प्रेमचंद को कालजीवी रचनाकार, कालजयी रचनाकार तथा उनके साहित्य में अंतर्विरोध किस तरह से देखने को मिलता है, इसकी चर्चा की।
अंत में भारत में राष्ट्रवाद और स्त्रीवाद दोनों साथ-साथ चल रहे थे, इसको व्याख्यायित करते हुए उन्होंने अपने व्याख्यान का समापन किया। कार्यक्रम संयोजिका हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ शिखा त्रिपाठी ने विषय प्रवेश करते हुए कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. (डॉ) लोकमान्य रविन्द्र प्रताप ने किया।
धन्यवाद ज्ञापन डॉ सोनी ने किया। इस मौके पर प्रो. शालिनी गुप्ता, प्रो. ऋतु वर्मा, प्रो. प्रेमलता, प्रो. शिल्पा भारती, डॉ रमा शंकर रजक, प्रो. जितेन्द्र कुमार, प्रो. रूपाली कुमारी आदि ने भी महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए।
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