एसएनसीयू सभागार में एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन

स्वस्थ शिशु से होता है स्वस्थ समाज की रचना, कुपोषण के खिलाफ लड़ाई जारी

अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। स्वस्थ शिशु स्वस्थ समाज की रचना करता है। शिशु की बेहतर सेहत के लिए और बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर स्तर पर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। कुपोषित बच्चों के लिए सदर अस्पताल में आधुनिक सुविधाओं से लैस पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) का संचालन किया जा रहा है।

इसको लेकर 30 दिसंबर को सारण जिला मुख्यालय छपरा स्थित सदर अस्पताल के एसएनसीयू सभागार में एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों, बीसीएम और बीएमएनई को प्रशिक्षण दिया गया।

प्रशिक्षण शिविर में जिला सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने कहा कि पोषण पुर्नवास केंद्र में काफी कम संख्या में बच्चें आ रहें है, जिसे बढ़ाने की जरूरत है। उन्होने कहा कि ओपीडी में आने वाले बच्चों की कुपोषण का स्क्रिनिंग करना सुनिश्चित करें। कुपोषित बच्चों को नि:शुल्क एंबुलेंस के माध्यम से एनआरसी में भेजें, ताकि बेहतर उपचार कर कुपोषित बच्चों को सुपोषित किया जा सके। उन्होंने कहा कि पोषण पुनर्वास केंद्र में शिशु के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक सभी प्रकार की सुविधाएं होती हैं।

सीएस ने कहा कि वीएचएसएनडी साइट पर भी कुपोषित बच्चों की पहचान करें। यहां शिशु को कुपोषण मुक्त करने के लिए विभिन्न मानकों के आधार पर नियमित रूप से निगरानी में रखा जाता है। आवश्यक आहार, चिकित्सकीय परामर्श, दवाएं, सप्लीमेंट आदि के साथ नियमित स्वास्थ्य जांच और अपनेपन से शिशु धीरे-धीरे कुपोषण से मुक्त होकर स्वस्थ होता है। शिविर में जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी रमेशचंद्र कुमार और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ ब्रजेश कुमार द्वारा प्रशिक्षण दिया गया।

सदर अस्पताल में संचालित है 20 बेड का पोषण पुनर्वास केंद्र

प्रशिक्षण शिविर में जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी सह नोडल पदाधिकारी रमेशचंद्र कुमार ने कहा कि सदर अस्पताल में 20 बेड का पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित है। जहां हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध है। यहां भर्ती बच्चों को डॉक्टर की निगरानी में देखभाल किया जाता है। उनकी नियमित निगरानी की जाती है। साथ हीं भर्ती बच्चों के खान-पान का भी विशेष ख्याल रखा जाता है। इसके लिए एफडी कार्यरत है। साथ हीं भर्ती बच्चों की मां के लिए दीदी की रसोई का शुद्ध और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाता है।

उन्होने कहा कि पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चों को बेहतर इलाज के साथ मानसिक और बौद्धिक क्षमता के विकास के लिए अक्षर ज्ञान का बोध भी कराया जाता है। इसके अलावा विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाती है। प्रतिदिन मां के साथ जागरूकता बैठक कर पोषण से संबंधित जागरूक किया जाता है। बच्चों की देखभाल के लिए यहां स्टाफ नर्स, केयर टेकर व कुक भी उपलब्ध रहते हैं।

प्रशिक्षण शिविर में उन्होंने बताया कि यहां जीरो से 5 साल तक के बच्चों का 15 फीसद वजन बढऩे तक इलाज किया जाता है। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ ब्रजेश कुमार ने बताया कि सामान्य बच्चों की तुलना में गंभीर अति कुपोषित बच्चों की मृत्यु का खतरा नौ गुना अधिक होता है। 100 में 80-85 प्रतिशत ऐसे कुपोषित बच्चे पाए जाते हैं, जिनका चिकित्सकीय सहायता समुदाय स्तर पर किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि 10-15 प्रतिशत बच्चों को ही पोषण पुनर्वास केंद्र भेजने की जरूरत होती है। ऐसे बच्चों की समय से पहचान कर उनका इलाज करने से कुपोषण के कारण होने वाले बच्चों की मृत्यु को खत्म किया जा सकता है। पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती बच्चों की माता को भी प्रतिदिन सौ रूपये के हिसाब से प्रोत्साहन राशि उनके बैंक अकाउंट में दिया जाता है। साथ हीं कुपोषित बच्चों की पहचान और फॉलोअप करने के लिए आशा कार्यकर्ताओं को भी प्रोत्साहन राशि दी जाती है। चार बार फॉलोअप करने पर 150 रूपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है।

प्रशिक्षण शिविर में सीएस डॉ सागर दुलाल सिन्हा, डीएमओ डॉ दिलीप कुमार सिंह, डीआईओ डॉ चंदेश्वर सिंह, एनसीडीओ डॉ भूपेंद्र सिंह, सीफार के डीपीसी गनपत आर्यन, जिले के सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीसीएम और बीएमएनई उपस्थित थे।

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