गणतंत्र दिवस पर राज्यपाल ने रांची के मोरहाबादी मैदान में फहराया तिरंगा

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड के दुमका में फहराया तिरंगा

एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। गणतंत्र दिवस के अवसर पर पुरे देश में आन-बान और शान से तिरंगा फहराया गया। जगह जगह प्रमुख स्थलों के अलावा विभिन्न कार्यालयों, स्कूल, कॉलेजों आदि में राष्ट्रध्वज फहराया गया। इस अवसर पर राष्ट्रगान के साथ तिरंगे को सलामी दी गयी। इस अवसर पर कई प्रमुख केंद्रों पर कार्यक्रम आयोजित कर अबतक की उपलब्धियों को बताया एवं दर्शाया गया।

इसी क्रम में गणतंत्र दिवस के अवसर पर 26 जनवरी को झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार ने राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में झंडोत्तोलन किया। राज्यपाल ने सुबह 9 बजे झंडोत्तोलन कर तिरंगे को सलामी दी। इसके बाद उन्होंने सशस्त्र बल परेड का निरीक्षण किया। इस अवसर पर दर्जनों गणमान्य उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुमका में फहराया तिरंगा

दूसरी ओर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर दुमका के पुलिस लाइन में राष्ट्रध्वज फहराया। इस दौरान उन्होंने दुमका की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि प्रकृति की गोद में बसे संथाल परगना की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं वीर सपूतों की बलिदानी भूमि से वे समस्त झारखंड वासियों को 76वें गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देते हैं तथा राज्य के तमाम अमन पसंद जनता का हार्दिक अभिनन्दन करते हैं।

सीएम सोरेन ने कहा कि भारत के लिए गणतंत्र दिवस केवल एक पर्व नहीं, बल्कि गौरव और सम्मान है। आज का यह दिन हमारे सम्प्रभुता एवं जनतंत्र के प्रति गहरी आस्था का राष्ट्रीय पर्व है। उन्होंने कहा कि मैं नमन करता हूं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पं. जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सरदार बल्लभ भाई पटेल, शहीदे आजम भगत सिंह और बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेदकर सहित उन महान विभूतियों को, जिनके नेतृत्व में हमारे देश ने स्वतंत्रता प्राप्त की और एक सशक्त लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में विश्व के मानचित्र पर अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुए।

उन्होंने कहा कि अन्याय और अत्याचार के खिलाफ संघर्ष करना हमारी परम्परा रही है। इतिहास गवाह है कि सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के पहले भी झारखंड के कई आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र थे, जहां आजादी की लड़ाई लड़ी गई। झारखंड के ऐसे महान विभूतियों भगवान बिरसा मुंडा, तिलका मांझी, वीर शहीद सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव, बहन फूलो-झानो, वीर बुधु भगत, जतरा टाना भगत, नीलाम्बर-पीताम्बर, शेख भिखारी, टिकैत उमरांव सिंह, पांडेय गणपत राय, शहीद विश्वनाथ शाहदेव को नमन करते हैं। उनकी संघर्ष गाथा आज भी हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत हैं।

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