एस. पी. सक्सेना/लातेहार (झारखंड)। कामता के पंचायत समिति सदस्य अयुब खान झारखंड स्थापना दिवस पर 15 नवंबर को लातेहार जिला के हद में चंदवा प्रखंड के चटुआग का दौरा किया। पंसस गांव में जंजीर से जकड़े मानसिक रोगी 25 वर्षीय बिजेंद्र गंझु और उसके परिजनों से भेंट कर वस्तुस्थिति से अवगत हुए।
इस अवसर पर पंसस खान ने कहा कि युवक मानसिक रूप से बीमार है। उसके बूढे मां बाप ने मजबुरी के कारण उसके हाथ-पैर जंजीर से बांध रखे हैं। कहा कि गरीबी कैसे अभिशाप बन जाती है यह स्थापना दिवस पर देखने को मिला। बुढ़े माँ बाप ने अपने कलेजे के टुकड़े को दोनो हाथों में हथकड़ी नुमा जंजीर, पैरो में बेड़ियां बांध रखा है। माँ के कहने पर वह युवक जंजीर में जकड़े घर से बाहर निकला। जब उन्होंने उससे पूछा कि मेरा घर कहां है, तब हल्की आवाज में वह बेलवाही बताकर रोने लगा।
पंसस खान ने बताया कि मानसिक रोगी बिजेंद्र गंझु की हकीकत जानेंगे तो हैरत में पड़ जाएंगे। जब हमने उक्त युवक के बारे में पास मौजूद उसकी मां कमली देवी, बगल में रह रहे नेमा गंझु और पड़ोसियों से पूछा तो उन्होंने बताया कि जंजीर से बंधा युवक करीब आठ नौ माह से मानसिक रूप से कमजोर है। इसलिए बेटे को बांधकर रखने के लिए वह मजबूर हैं।
कहा कि हांथ पैर नहीं बांधने से वह गांव में जिसे पाता है, उसके साथ मारपीट कर चुका है। परिजनों ने बताया कि उनके पास बिजेंद्र का इलाज कराने के लिए पैसे नहीं हैं। अगर उसे बांधकर न रखें तो वह गांव में उत्पात मचाना शुरू कर देता है। परिजनों ने बताया कि करीब एक वर्ष होने को है, उस समय बेटा ठीक था। चार पहिया वाहन का अच्छा चालक था। गांव में और बाहर में रहकर वह गाड़ी चलाकर पैसे कमाकर अपने मां बाप को भेजता था।
विवाह करने के लिए उसे घर बुलाया। वह आया भी, लेकिन वह घर पर मानसिक रूप से बीमार हो गया। तब से मानसिक रुप से बीमार अपने बेटे को परिजनों द्वारा इधर उधर से कर्ज जुगाड़ कर रांची से इलाज करवा रही है। इसके बाद भी वह अबतक ठीक नहीं हो पाया है।
विक्षिप्त बिजेंद्र की माँ ने बताया कि उसकी दो बेटियां भी हैं, जिनमे एक का विवाह हो चुका है। एक घर पर है। दो बेटा है जिसमें एक की शादी हो चुकी है, दूसरा मानसिक रोग से पीड़ित है। बताया कि घर पर दोनों बूढे पति पत्नी रहते हैं और सुखी लकड़ी बेचकर पेट पाल रहे हैं। बुढ़े माँ बाप ही मानसिक रोग से पीड़ित अपने बेटे की देख भाल कर रहे हैं।
पंसस खान के अनुसार उक्त परिवार बेहद गरीब है। जो कुछ रुपये उसके पास थे, वे बेटे के उपचार में पहले ही खर्च कर चुके हैं। अब आगे उपचार करवाना उनके लिए दूर की बात है। गरीबी ने इतना मजबूर बना दिया है कि अपनी औलाद को जंजीरों से बांधकर रखना पड़ रहा है।
अयुब खान कहते हैं कि परिवार को कोई सहायता नहीं मिल पाई है। परिवार का आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण अर्थाभाव में एक आदिवासी युवक का जीवन खराब हो रहा है। परिवार में बूढ़े मां और बाप का सहारा भी कोई नहीं है। उन्होंने उक्त परिवार को चिकित्सकीय राशि जल्द उपलब्ध कराने की मांग लातेहार जिला उपायुक्त हिमांशु मोहन से की है।
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