आगामी 10 अप्रैल को प्रत्येक प्रखंड में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया जाएगा-मुर्मू

प्रहरी संवाददाता/जैनामोड़ (बोकारो)। बिरसा आश्रम नयामोड़ बोकारो में 20 मार्च को आदिवासी सेंगेल अभियान, अखिल भारतीय कुशवाहा महासभा और झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के संयुक्त तत्वावधान में बैठक का आयोजन किया गया।

बैठक कुशवाहा महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश कुमार महतो की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। झारखंड में प्रखंडवार नियोजन नीति हेतू यह सभा की गई। संचालन सेंगेल झारखंड प्रदेश अध्यक्ष देवनारायण मुर्मू ने किया।

सभा को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा कि नियोजन के मामले पर पक्ष और विपक्ष दोनों ने झारखंड की जनता के साथ एक प्रकार से धोखेबाजी वाली नूरा कुश्ती चालू कर रखा है।

लगता है किसी के पास झारखंडी जनहित में नियोजन की कोई ठोस नीति नहीं है। यह झारखंड की राजनीतिक दिवालिएपन का दुर्भाग्यपूर्ण घोतक है। उन्होंने कहा कि सेंगेल की मांग है कि प्रखंडवार नियोजन नीति लागू किया जाए। झारखंड की नौकरियों का 90 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों को दिया जाए।

इससे प्रखंडवार आबादी के अनुपात में कोटा बनाकर संबंधित प्रखंड के आवेदकों से भरा जाए। इस मांग को लेकर आदिवासी सेंगेल अभियान एवं झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा और कुशवाहा महासभा मिलकर झारखंड बचाव अभियान के बनैर तले आगामी 10 अप्रैल को प्रत्येक प्रखंड में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया जाएगा। क्योंकि निकट भविष्य में स्थानीय नीति, आरक्षण नीति, नियोजन नीति और भाषा नीति आदि बनने -बनाने की गुंजाइश कम दिखाई पड़ती है।

मुर्मू ने कहा कि अंततः 22 वर्षों से लंबित नियोजन की कमी का दंश और दर्द झारखंड के लाखों शिक्षित बेरोजगार झेलने को मजबूर हैं। इसके लिए केवल और केवल पक्ष और विपक्ष दोनों दोषी हैं।

शिक्षित बेरोजगार नवयुवकों से भी आग्रह है कि वे समाधानमूलक प्रखंडवार नियोजन नीति पर चर्चा करें और इसके क्रियान्वयन के लिए आंदोलन शुरू करें, ताकि नीतियों की इंतजार में उन्हें और इंतजार ना करना पड़े। बल्कि दो-तीन महीनों में इसका लाभ ले सकते हैं। अन्यथा वे पक्ष विपक्ष की नूरा कुश्ती के शिकार बन कर रह जायेंगे।

सभा को राकेश कुमार महतो, बिदेशी महतो, करमचंद हांसदा, सुमित्रा मुर्मू, पुष्कर महतो, राजदेव महथा आदि ने भी संबोधित किया। सभा में उपरोक्त के अलावा भरत महतो, हब्बुलाल गोरांई, प्रदीप कुमार, सहदेव महतो, जयराम सोरेन, चंद्र मोहन मार्डी, आनंद टुडू, राखो किस्कू, उल्लेशवरी हेम्बरम, ललिता सोरेन, राखो किस्कू, भीम मुर्मू, सावित्री मुर्मू, गुलाबी पावरिया, मनीलाल हांसदा आदि सैकड़ों महिला-पुरुष शामिल थे।

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