पीयूष पांडेय/बड़बिल (ओडिशा)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा हाल हीं में जारी राज्य वित्त पर रिपोर्ट के अनुसार, ओडिशा ने राजकोषीय प्रदर्शन में उत्कृष्ट स्थान पाया है, क्योंकि इसकी बकाया देनदारियां सभी राज्यों में सबसे कम थीं। कुल राजस्व के अनुपात के रूप में राज्य का गैर-कर राजस्व (एसओएनटीआर) सबसे अधिक था। इसका खुलासा आरबीआई ने किया है।
जीएसडीपी के अनुसार भले ही कुल ऋण में बकाया बाजार ऋण की हिस्सेदारी कोविड के बाद की अवधि में बढ़ रही है। बावजूद इसके राज्य में ऋण-जीडीपी अनुपात में काफी गिरावट आई है और इसकी बकाया देनदारियां सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 13.9 प्रतिशत है। कुल राजस्व में एसओएनटीआर का अनुपात सर्वाधिक 27.8 प्रतिशत था।
ज्ञात हो कि एसओएनटीआर में छह घटक होते हैं, जिसमें सामान्य सेवा, सामाजिक सेवा, आर्थिक सेवा, वित्तीय सेवा, ब्याज प्राप्ति और लाभांश या लाभ शामिल है। आर्थिक सेवाओं से राज्य का राजस्व मुख्य रूप से उद्योगों, विद्युत उत्पादन, पेट्रोलियम, बड़ी और छोटी सिंचाई परियोजनाओं, वानिकी और वन्य जीवन से उत्पन्न होता है।
जबकि पिछले कुछ वर्षों में उद्योगों से राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गयी है। वानिकी और वन्य जीवन के शेयरों में गिरावट देखी गयी है। आरबीआई के अनुसार कई राज्यों में स्वयं के गैर-कर राजस्व संग्रह में व्यापक भिन्नता है। आरबीआई द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि ओडिशा, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे खनिज समृद्ध राज्यों में गैर-कर राजस्व का हिस्सा अन्य राज्यों की तुलना में काफी अधिक है।
उनके गैर-कर राजस्व का 60 प्रतिशत से अधिक खनन रॉयल्टी और खदानों द्वारा भुगतान किए गए प्रीमियम से प्राप्त होता है। हालाँकि, कुल राजस्व में राज्य के कर राजस्व का हिस्सा 2015-16 में पूर्व-कोविड अवधि के दौरान 46.8 प्रतिशत से मामूली वृद्धि के साथ पोस्ट-कोविड अवधि के दौरान 53.5 प्रतिशत हो गया है।
चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर व्यय 2006-07 में 3.1 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में कुल खर्च का 6.9 प्रतिशत हो गया। वेतन मद में 4,630 करोड़ रुपये से बढ़कर 36,591 करोड़ रुपये हो गया। शिक्षा में 12 प्रतिशत वृद्धि देखा जा रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुसंधान और विकास पर राज्य का व्यय 2020-21 में 125 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 (बजट अनुमान) में शिक्षा में 500 प्रतिशत, चिकित्सा, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और स्वच्छता में 25.7 प्रतिशत से 105.8 प्रतिशत हो गया है।
वहीं कृषि अनुसंधान में 24.6 प्रतिशत से बढ़कर 199.2 प्रतिशत, औद्योगिक अनुसंधान में 2.2 प्रतिशत से बढ़कर 22.7 प्रतिशत, पर्यावरण अनुसंधान में 15.6 प्रतिशत से बढ़कर 17.9 प्रतिशत, बुनियादी ढांचा अनुसंधान में 38.8 प्रतिशत से बढ़कर 81 प्रतिशत और अन्य मदों में 156 प्रतिशत से बढ़कर 289 प्रतिशत वृद्धि देखी जा रही है।
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