दार्शनिक और शिक्षाविद् कविवर रविन्द्र नाथ टेगौर सदैव याद किए जाते रहेंगे-प्राचार्या
सिद्धार्थ पांडेय/चाईबासा (पश्चिम सिंहभूम)। पश्चिम सिंहभूम जिला के हद में डीएवी पब्लिक स्कूल गुवा में नोवेल पुरस्कार से सम्मानित राष्ट्र कवि रविन्द्र नाथ टेगौर की जयंती 3 मई को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विद्यालय परिसर में रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
स्कूल की प्राचार्या उषा राय की अध्यक्षता मे आयोजित कार्यक्रम में धर्म शिक्षक राजवीर सिंह के वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ स्कूल की सभी शिक्षकों एवं दर्जनों स्कूली बच्चों ने पुष्प अर्पण कर कविवर रविन्द्र को नमन किया।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्जवलित कर की गई। स्वागत गान संगीत शिक्षक योगेंद्र त्रिपाठी के साथ शिक्षक अनिरुद्ध दत्ता, शिक्षिका श्रीपर्णा साहू, अनुपूर्णा साहू, छात्र आशुतोष बेहरा एवं आर्यन झा द्वारा प्रस्तुत की गई। शिक्षक अंजन सेन द्वारा राष्ट्र कवि टैगोर की कविता डाले – डाले, पाते – पाने प्रस्तुत की गई।
इस अवसर पर कक्षा दशम की छात्रा अन्वेशा कांजीलाल, कक्षा अष्टम की ऋधिमा सिंह एवं कक्षा सप्तम की कृतिका झा द्वारा मनोहारी समूह नृत्य प्रस्तुत की गई। शिक्षिका रंजना प्रसाद ने सोलो बंगला कैसेट गान पर नृत्य प्रस्तुत की गई। अन्य शिक्षिकाओं मे शिक्षिका अनिला एक्का, पूजा सिंह एवं पुष्पांजलि नायक ने शानदार नृत्य प्रस्तुत कर बच्चो के समक्ष कार्यक्रम में शमा बाँध दी।
कार्यक्रम में कक्षा द्वादश की छात्रा ने हिन्दी तथा कक्षा नवम की छात्रा दक्षा मिश्रा ने अंग्रेजी में रविन्द्र नाथ टैगोर के जीवन दर्शन की प्रस्तुति दी। छात्रों में अन्वेशा साहू, अंश, ओशानी एवं सायोन ने जीव विज्ञान शिक्षक अंजन सेन के साथ कविता प्रस्तुति की।
इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्राचार्या उषा राय ने कहा कि गुरुदेव रविन्द्र नाथ टेगौर बहुआयामी प्रतिभा के शख़्सियत थे। बंगाली कवि, लघु-कथाकार, संगीतकार, नाटककार, उपन्यासकार और चित्रकार के रूप में वे चर्चित रहे हैं। कविगुरु टैगोर गुरुदेव के नाम से भी जाने जाते हैं।
उन्हे विश्वविख्यात महाकाव्य गीतांजलि की रचना के लिए वर्ष 1913 में साहित्य नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। साहित्य के क्षेत्र में नोबेल जीतने वाले वे पहले भारतीय हैं। वरीय शिक्षक पी. के. आचार्या ने कहा कि गुरुदेव टेगौर अपने लेखन से भारत को महान बनाया। उन्होंने विश्व भारती शांति निकेतन की स्थापना कोलकात्ता में की थी।
कार्यक्रम में शिक्षक अनन्त कुमार उपाध्याय, विकास कुमार मिश्रा, बी. के. साहू, बी.जी. सिंह, जय मंगल कुमार साव, राजवीर सिंह, आशुतोष शास्त्री, अरविन्द कुमार साहू, बी.सी. दास, ज्योति सिन्हा, रोशन कुमारी, अनिशा रॉय चौधरी, ऋषि कुमार, एस. के. पांडेय, एस. बी. तिवारी, राजन उपाध्याय, मोनिका मोहंती व अन्य का अग्रणी योगदान रहा।
कार्यक्रम में मंच संचालन धर्म शिक्षक राजवीर सिंह ने की। कार्यक्रम को सफल बनाने में स्कूली बच्चों में श्वेता कर्मकार, नर्गिस परवीन, प्रज्ञा प्रुष्टि, हरिप्रिया दास व अन्य की भूमिका सराहनीय रही।
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