संवाददाता/ नई दिल्ली। महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) 21 अक्टूबर तक मुंबई के आरे जंगल (Aarey Forest) में अब और पेड़ नहीं काट सकेगी और न ही वहां दूसरी गतिविधियां कर सकेंगी। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने लॉ स्टूडेंट की याचिका पर सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र सरकार को पेड़ों की कटाई पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का आदेश दिया और अगली सुनवाई तक वहां यथास्थिति बहाल रखने को कहा। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जब तक फॉरेस्ट यानी एन्वायरन्मेंट बेंच का फैसला नहीं आ जाता, तब तक आरे में यथास्थिति बहाल रखी जाए। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को करेगा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब पूर्व नियोजित 1,200 पेड़ों की कटाई रुक गई है। सरकार वहां 1,200 पेड़ पहले ही काट चुकी है। आरे में मेट्रो शेड बनाने के लिए कुल 2,700 पेड़ काटने की योजना है। हालांकि, जस्टिस अरुण मिश्रा ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा, ‘हम जो समझ रहे हैं, उसके मुताबिक आरे इलाका नॉन डिवेलपमेंट एरिया है लेकिन इको सेंसटिव इलाका नहीं है।’
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता महाराष्ट्र सरकार की ओर से जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस अशोक भूषण की स्पेशल बेंच के सामने पेश हुए। उन्होंने बेंच को बताया कि जरूरत के पेड़ काटे जा चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मेहता से पूछा था कि वहां कितने पेड़ काटे जा चुके हैं, बताएं?
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने लॉ स्टूडेंट्स की ओर से पेड़ों को काटने के विरोध में लिखे पत्र को जनहित याचिका मानते हुए सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए रविवार को स्पेशल बेंच का गठन भी कर दिया था। मेट्रो शेड के लिए आरे कॉलोनी के पेड़ों की कटाई का विरोध सामाजिक और पर्यावरण कार्यकर्ता के साथ कई जानी-मानी हस्तियां कर रही हैं।
बॉम्बे हाई कोर्ट में दायर एक याचिका में मांग की गई थी कि पूरे आरे एरिया को जंगल घोषित किया जाए। इस पर हाईकोर्ट ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में मैटर पेंडिंग है इसलिए वह इसपर सुनवाई नहीं कर सकता। सरकार ने इस मामले में दो नोटिफिकेशन जारी किए थे। इनमें से एक के जरिए आरे एरिया को इको सेंसटिव जोन से अलग कर दिया गया था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि आप हमें वह नोटिफिकेशन दिखाइए जिसमें आरे एरिया को इको सेंसेटिव जोन से बाहर किया गया था।
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