साभार/नई दिल्ली। दिल्ली के जंतर-मंतर पर आपको फिर प्रदर्शनकारी अपनी आवाज़ उठाते दिखाई दे सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन पर लगी रोक हटाए जाने का फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में प्रदर्शनों पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई जा सकती, जंतर-मंतर और बोट क्लब पर प्रदर्शनों से रोक हटाई जाए। रोक हटाने का फैसला सुनाते हुए जस्टिस एके सिकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने दिल्ली पुलिस को नई गाइडलाइन्स बनाने को कहा है।
कोर्ट ने मजदूर किसान शक्ति संगठन और अन्य लोगों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है। याचिकाओं के जरिए सेंट्रल दिल्ली में शांतपूर्ण ढंग से प्रदर्शन को इजाजत दिए जाने की मांग की गई थी। याचियों की दलील थी कि प्रदर्शनों पर रोक से लोगों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है।
याचिकाकर्ता का कहना था कि साल 2017 अक्टूबर में NGT ने जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन पर रोक लगा दी थी जबकि पूरी सेंट्रल दिल्ली में दिल्ली पुलिस की ओर से हमेशा के लिए धारा 144 लगाई गई है। बता दें कि साल 2017 में नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूलन यानी एनजीटी के आदेश के बाद जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन नहीं हो रहे। 10 अक्टूबर से पुलिस ने यहां प्रदर्शनों को बंद करा दिया था।
एनजीटी ने कहा था कि गाय संरक्षण के नाम पर गोवंश और बैलगाड़ी लाना जंतर-मंतर क्षेत्र में रह रहे लोगों के लिए मुश्किलों का सबब बनता है। प्रदर्शन स्थल प्रदर्शनकारियों के लिए जंग का मैदान बन गया है। NGT ने यह भी कहा था कि क्षेत्र प्रदर्शनकारियों द्वारा गंदगी फैलाने की स्थायी जगह बन गया है।
जनवरी के महीने में सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर एमसीडी, दिल्ली पुलिस और एनडीएमसी को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है, जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा था कि उन्हें जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन से रोक दिया गया है और यह उनके संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकार का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता ने इस मामले में एनजीटी के आदेश को चुनौती दी थी। एनजीटी ने दिल्ली सरकार को जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शनों और सभाओं के आयोजन पर तुरंत रोक लगाने का आदेश दिया था। एनजीटी ने कहा था कि विरोध-प्रदर्शन रामलीला मैदान में हो सकते हैं।
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