मुंबई। बांग्लादेश के शरणार्थियों के कैंपो में रोहिंग्या मुसलमानों के साथ-साथ हिन्दु व अन्य धर्म के लोग भी शामिल हैं, जो हिंदी, बंगला भाषी और म्यांमार के भूमि पुत्रों के खूनी खेल का शिकार हुए हैं। बांग्लादेश के कोवस नामक इलाके के कैंपो में रह रहे शरणार्थियों में अब भी दहशत का माहौल है। म्यांमार में शिकार हुए लोगों की सहायता करने के लिए में मुंबई से रेड क्रीसेंट सोसायटी ऑफ इंडिया ने हाथ बढ़ाया है। इसके तहत म्यांमार के शरणार्थियों के विभिन्न कैंपो का जायजा लिया साथ ही लुट-पिट चुके लोगों की यथा संभव मदद भी की। सोसायटी द्वारा राहत का पहला बड़ा खेप आने वाले सप्ताह में बंगलादेश जाएगा।
मुंबई की गैर सरकारी संस्था रेड क्रीसेंट सोसायटी ऑफ इंडिया को अमली जामा पहनाने का खास मकसद मानव सेवा ही है। इसके तहत सोसायटी द्वारा देश व विदेशों में भी सताए हुए लोगों व प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावितों की मदद करने की पहल करती है। ताजा वाकया म्यांमार का है। म्यांमार में भूमिपुत्रों की जंग चल रही है। जिसके कारण बाहरी लोगों को निशाना बनाया जा रहा है।
इनमें रोहिंग्या मुसलमानों के साथ-साथ हिन्दु व अन्य धर्म के लोगों को भी ऑन सान सूची की सरकार अपना निशाना बना रही है। मौजूदा समय में म्यांमार के जुल्मो सितम का शिकार हुए लोगों को बांग्लादेश ने पनाह दी है। बांग्लादेश के कोवस नामक इलाके में म्यांमार के शरणार्थियों को शिविर में रखा गया है। शरणार्थियों के शिविर की हालत बेहद खौफनाक है। यहां दुनियां की कई सामाजिक संस्थाएं बेहाल व बदहाल लोगों की मदद में कूद पड़ी हैं।
इनमें रेड क्रीसेंट सोसायटी ऑफ इंडिया का भी समावेश है। इस सोसायटी ने बांग्लादेश की यंग पावर इन शोसल एक्शन के साथ मिल कर बदहाल लोगों की मदद में जुट गई हैं। रेड क्रीसेंट सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अरशद सिद्दीकी ने बताया की 11 से 18 अक्टूबर तक मैं और हमारी टीम बांग्लादेश के कॉवस नामक ऊबड़ खाबड़ क्षेत्रों में रहकर शरणार्थियों की समस्याओं को करीब से देखा, समझा और मदद की। जो कि नाकाफी है।
उन्होंने बताया की शरणार्थियों के लिए राहत का पहला बड़ा खेप आने वाले सप्ताह में जाएगा। इसमें अनाज के साथ कपड़ा और दवा आदि मिलाकर करीब 200 टन का खेप है। सिद्दीकी ने देशवासियों से अपील किया है कि इस पुण्य कार्य में भाग लें, इसके लिए रेड क्रीसेंट सोसायटी ऑफ इंडिया की वेबसाइट को क्लिक कर सारी जानकारी हासिल कर कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि म्यांमार में दिनदहाड़े खूनी खेल खेला गया, वह हिंदी, बंगला भाषी और भूमि पुत्रों की लड़ाई है, जिसे ऑन सान सूची की सरकार खुलेआम करा रही है। अरशद सिद्दीकी ने कहा कि मानव सेवा से बड़ा कोई धर्म या जात नहीं है। हमारी सोसायटी आम व खास सभी लोगों की सोसायटी है। इसके बैनर तले हम भारत में प्राकृतिक आपदा हो या अन्होनी के समय सहायता के लिए पहुंच ही जाते हैं। उन्होंने लातूर भूकंप का हवाला देते हुए कहा की प्राकृतिक आपदाओं के समय लोग बेसहरा हो जाते हैं। एसे समय में हमारी टीम मदद के लिए सबसे आगे बढ़ कर आती है।
सिद्दीकी ने बताया कि गुजरात के भुज के अन्य क्षेत्रों में भूकंप आया था, जिसमें पूरा क्षेत्र खंडहर हो गया था तब हम अपनी पूरी टीम के साथ पूरे छह महीने तक राहत और मदद के लिए डटे रहे। भुज के भूकंप में घायल 75 हजार से अधिक लोगों का इलाज मुंबई के विभिन्न अस्पतालों में कराया गया। उत्तराखंड में भूस्खलन से हुई तबाही में हमारे डॉक्टरों की पूरी टीम उत्तराखंड पहुंची, और पीड़ितों का इलाज के साथ-साथ राहत कार्य भी किया।
उन्होंने दक्षिण भारत के सुनामी तूफान, इराक आपदा (जंग), 2002 में गुजरात दंगा का भी हवाला दिया। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पत्रकार कासिम मेहंदी ने बताया की रेड क्रीसेंट सोसाइटी ऑफ इंडिया की ओर से हर साल उत्तर प्रदेश में 200 गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर युवक एवं युवतियों की शादी कराई जाती है, जो दशकों से चल रहा है।
423 total views, 1 views today