गोपनीय फाइलों को डीक्लासीफाई कर मोदी सरकार
पवन यादव/ नई दिल्ली। कंस्टीटूशन क्लब में दि ऑल इंडिया लीगल एड फोरम (The All India Legal Aid Forum) द्वारा आयोजित नेशनल कांफ्रेंस में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आजाद हिंद फौज के 75 साल पूरे होने की घोषणा की गई। इस मौके पर फोरम ने केंद्र सरकार से अपनी आठ मांगें रखीं है। इनमें नेताजी सुभाषचंद्र बोस से संबंधित गोपनीय फाइलों को डीक्लासीफाई करना शामिल है। इसके अलावा, आईएनए के सजाने से संबंधित सच को सामने लाने की मांग की है। ताकि देशवासियों को सच्चाई का पता चल सके।
दि ऑल इंडिया लीगल एड फोरम इस क्षेत्र में काम करता रहा है और सुभाष चंद बोस के लापता होने से संबंधित जानकारी चाहता है। इस संबंध में पिछले 15 वर्षों से केंद्र सरकार से मांग की जा रही है की उनकी सभी फाइलों को डीक्लासीफाई किया जाए। फोरम का मानना है की नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की भाजपा सरकार रूस की सरकार को चिट्ठी लिखकर मांग करे की बोस के निधन से संबंधित केजीबी की फाइल का खुलासा करे।
यह मौत रूस के ओम्स शहर में स्थित साइबेरिया जेल में हुई थी। फोरम के महासचिव जयदीप मुखर्जी ने कहा की हमारे लिए यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि 1947 में आजादी के बाद कुछ राजनीतिक साजिश के तहत संघर्ष के दौरान आजाद हिन्द फौज के योगदान को लोगों की नजरों में बेहद तकनीकी ढंग से दबा दिया गया। लेकिन सच्चाई तो यह है की आजाद हिन्द फौज के कम से कम 25000 सैनिकों ने भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में अपनी जान को कुर्बान कर दिया।
बोस ने 1943 में सिंगापुर में आजाद हिन्द फौज सरकार का गठन किया था, उस सरकार को दुनिया के कुछ देशों ने मान्यता भी दी थी। वह भारत की पहली प्रांतीय (प्रोविंसियल) सरकार थी जिसकी स्थापना विदेश में हुई थी और वे उस सरकार के कमांडर इन चीफ थे।
मुखर्जी ने कहा यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 1947 में आजादी के बाद प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इतिहासकार, प्रोतुल गुप्ता को भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में आजाद हिन्द फौज के योगदान पर एक किताब लिखने के लिए कहा। 1950 में इतिहासकार प्रोतुल गुप्ता ने पुस्तक की एक पांडुलिपि उस समय के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के पास जमा कराई थी।
जवाहर लाल नेहरू ने उस पुस्तक को प्रकाशित होने से मना कर दिया। बताया जाता है की पांडुलिपि को भारतीय सेना के रक्षा अकादमी में वर्गीकृत (गुप्त) दस्तावेज के रूप में रखवा दिया। इतिहासकार प्रोतुल गुप्ता की उक्त पुस्तक आज तक डीक्लासीफाई नहीं हुई।
फोरम की अन्य मांगें
1. स्वतंत्रता संघर्ष में आजाद हिन्द फौज और सुभाष चंद्र बोस के योगदान को स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
2. केंद्र सरकार से ऑल इंडिया लीगल एड फोरम यह मांग भी करता है की नेताजी के जन्मदिन 23 जनवरी को देश भर में राष्ट्रीय छुट्टी घोषित की जाए।
3. आजाद हिन्द फौज की संपत्ति और उसका धन कहां है उससे संबंधित सत्य का खुलासा करे। (संपत्ति का कुल मूल्य उस समय 72 करोड़ रुपए था।)?
4. इतिहासकार प्रोतुल गुप्ता की पुस्तक, हिस्ट्री ऑफ आईएनए एंड नेताजी सुभाष चंद्र बोस है, जिसे जवाहर लाल नेहरू ने क्लासीफाई कर दिया था। केंद्र सरकार के डिफेंस ऐकेडमी में रखी है उसे डीक्लासीफाई किया जाए।
5. केंद्र सरकार द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आईएनए को उपयुक्त सम्मान देने के लिए बड़े आकार की कांसे की मूर्ति और आईएनए की याद में एक स्मृति चिन्ह लाल किला के सामने और राज पथ पर रखी जानी चाहिए।
6. कांसे की एक बड़ी प्रतिमा सेल्यूलर जेल के केंद्रीय बिन्दु पर रखी जानी चाहिए। ताकि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रति सम्मान जताया जा सके।
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