साभार/मुंबई। पिछले एक साल में मुंबई पुलिस ने ड्रग्स से जुड़े केसों में जितने भी नाइजीरियंस को गिरफ्तार किया है, उनसे पूछताछ में पता चला है कि वे मार्केट रेट से पांच गुना ज्यादा मकान का किराया देते हैं, इसलिए उन्हें मुंबई, नवी मुंबई और ठाणे में आसानी से रहने के लिए घर मिल जाते हैं।
ऐंटि नार्कोटिक्स सेल से जुड़े एक अधिकारी ने एनबीटी को बताया कि मकान मालिक अपना घर इस्टेट एजेंट के जरिए किराए पर देते हैं। इस्टेट एजेंट को 11 महीने के अग्रीमेंट में एक महीने का कमिशन मकान मालिक से और एक महीने का किराएदार से मिलता है। इसलिए वे मोटी कमाई की लालच में बिना कोई ज्यादा कागजात लिए नाइजीरियंस को किराए का मकान दिलवा देते हैं। सब नहीं, पर जो ड्रग के रैकेट से जुड़े होते हैं, वे नाइजीरियंस किसी घर में अकेले नहीं, ग्रुप में रहते हैं। वे घर में कम से कम सामान रखते हैं।
उन्हें अपने हर साथी के घर वापसी का टाइमिंग भी पता होता है। यदि वह उस वक्त तक नहीं आया, तो वे मानकर चलते हैं कि वह पकड़ लिया गया। वे क्रॉस चेक करने के लिए उसे कभी कॉल नहीं करते हैं, ताकि पुलिस को उनका मोबाइल नंबर और फिर इस नंबर की वजह से उनकी लोकेशन न मिले । लंबा वक्त खींचने के लिए पकड़ा गया आरोपी कभी भी पुलिस को अपने मूल पते पर सीधे नहीं ले जाता।
पिछले रविवार को बांद्रा यूनिट के सीनियर इंस्पेक्टर वढावने और एपीआई सावंत की टीम ने जब गुड न्यूज पीटर उबेदी नामक एक नाइजीरियन को लोखंडवाला के एक पब के बाहर से पकड़ा और उससे उसके घर का अड्रेस पूछा, तो वह पुलिस टीम को नालासोपारा ले गया। नालासोपारा में कई घंटे इधर-उधर घुमाने के बाद भी जब उसका घर कहीं नहीं मिला, तब पुलिस द्वारा की गई सख्त के बाद उसने बताया कि वह हकीकत में मीरा रोड में रहता है। पुलिस जब उसके मीरा रोड के घर पहुंची, तब तक उसके साथी घर में रखी डग्स, उसका पासपोर्ट व सामान लेकर भाग चुके थे।
एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, ड्रग से जुड़े ज्यादातर नाइजीरियंस मुंबई के बजाए नालासोपारा, मीरा रोड, ,खारघर, दिवा व नवी मुंबई के अलग-अलग उपनगरों में किराए का घर लेते हैं। उन्हें कोकीन कोई और ग्रुप लाकर देता है। इस ग्रुप के लोग अक्सर पेट में रखकर कोकीन विदेश से मुंबई लाते हैं और फिर अपने साथियों को मुंबई और गोवा में देते हैं। यदि कोई खास टिप मिली, तो कस्टम अधिकारी इन्हें एयरपोर्ट पर पकड़ लेते हैं अन्यथा यह कस्टम वालों को चकमा देकर ड्रग के साथ एयरपोर्ट से बाहर निकल आने में सफल हो जाते हैं।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि मुंबई में कोकीन की बहुत डिमांड है। एक ग्राम कोकीन 5000 हजार रुपये में बिकती है। यदि यह बहुत अच्छी क्वॉलिटी की हुई, तो कस्टमर 7 से 8 हजार रुपये प्रति ग्राम तक भी देने को तैयार हो जाते हैं। ड्रग रैकेट से जुड़े नाइजीरियंस को पता है कि उन्हें कस्टमर किसी पब या पॉश इलाके में मिल सकते हैं, इसलिए हर शुक्रवार और शनिवार को खासतौर पर वे ऐसे इलाकों में घूमते हैं। इसलिए ऐंटि नार्कोटिक्स सेल के डीसीपी शिवदीप लांडे के निर्देश पर पुलिस भी ऐसी संभावित लोकेशन पर सादी वर्दी में घूमती रहती है।
उसी में गुड न्यूज पीटर उबेदी नामक आरोपी ऐंटि नार्कोटिक्स सेल की बांद्रा यूनिट की गिरफ्त में आया। उससे पूछताछ में पता चला कि वह तीन साल से मुंबई में है और अब तक कई घर बदल चुका है।
गिरफ्तार गुड न्यूज व कुछ अन्य आरोपियों से पूछताछ में यह बात भी सामने आई है कि बहुत से आरोपी एमडी ड्रग को भी कोकीन के नाम पर बेच रहे हैं। एमडी ड्रग , कोकीन की तुलना में सस्ती है। उसका मार्केट रेट प्रति ग्राम दो हजार रुपये है।
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