मुंबई। आज जहां हर मानव अपनी ज़िन्दगी में इतना व्यस्त है की उसे अपने परिवार और खुद के लिए ज़रा भी समय नहीं होता। वहीं इतनी व्यस्त ज़िन्दगी में जोगेश्वरी के मोमिन अपार्टमेंट में पास मानवता की मिसाल देखने को मिली। जोगेश्वरी के मोमिन अपार्टमेंट में पास के किसी इलाके से एक पिल्ला (कुत्ते का एक मासूम छोटा सा बच्चा) भटकते हुए आ गया, और जैसा के प्रसिध्द है कि हर कुत्ते का अपना एक इलाक़े होता है और वह अपने इलाके मैं किसी दूसरे इलाके के कुत्ते को अपने इलाके में आने नहीं देता है।
इसी तरह उस कुत्ते को भी यहां के कुत्तो ने बर्दाश्त नहीं किया और उसे खूब ज़ख़्मी कर डाला। यह भी तो एक छोटा सा कुत्ता / पिल्ला था, जो अपना बचाव नहीं कर सका और उन ज़ालिम कुत्तों से पीटता रहा। हालत यह हो गई की कुत्ते के मासूम बच्चे की पिछली टाँग और मुँह से खून बहने लगा।
उसी समय इस जगह पर ‘अंसारी हन्नान’ नामक समाज सेवक गुज़रे। हन्नान ने कुत्ते के बच्चे को देख लिया और उसे किसी तरह बचा कर अपने घर के पास ले आये। कुत्ते के नन्हे बच्चे को खाना पानी दिया और उसे एक सुरक्षित जगह पर एक बॉक्स में रख दिया ताके उसे कुछ सुकून प्राप्त हो।
सुबह जब हन्नान और उनके पड़ोसियों ने कुत्ते का हाल जानने के लिए बॉक्स से निकाला तो पता चला कि वह कुत्ते का बच्चा तो अब भी ज़ख्मी और बहुत ही घबराया हुआ है। अब यह पिल्ला अपने पैरों पर चलने से असमर्थ है और उसकी पिछली बाएँ टाँग की हड्डी टूट चुकी है। इसी को देखते हुए हन्नान और मौजूद लोगो ने उसके पैर की गरम पानी से सिकाई की और उसके पैर पर दर्द का तेल डाला।
फिर उसे दूध और उबले हुए अंडे के साथ दर्द की गोलियां भी दी गई जिस से उसे और आराम हुआ के इस पिल्लै ने दर्द से करहाना बंद कर दिया। लेकिन अब एक मुसीबत और सामने आ गई जब पता चला के अब यह पिल्ला तो जरा भी चल नहीं पा रहा है ऐसे में हन्नान ने कुत्ते को जानवरो के डॉक्टरों से संपर्क करने का निर्णय लिया और मुंबई की प्रसिध्द करुणा नामी जानवरों के सामाजिक संगठन के अंधेरी इकाई / शाखा से संपर्क करके जल्द ही डॉक्टरों की टीम को बुलाने की कोशिश की।
उन्हें जानवरों के सामाजिक संगठन से मदद मिली और एक डॉक्टरों की टीम अपनी एम्बुलेंस लेकर तुरंत ही इलाक़े में हाज़िर हो गई जिस में जानवरो के डॉक्टर डॉ गणेश सावंत और इनके दो सहयोगी विनोद सोलंकी और संजय जैसवाल ने उसे इंजेक्शन लगाए और उस बीमार और ज़ख़्मी पिल्ले का सही तरह से इलाज किया। ज़रूरत को देखते हुए डॉक्टरों की टीम को दुबारा कुछ दिन बाद भी बुलाया गया और करुणा संगठन के सेवक हाज़िर हो गए। स मजबूर जानवर के इलाज को आगे बढ़ाया गया।
हम अपने पाठकों को यह बात बताना ज़रूरी समझते हैं की इस जानवर के शुरुवाती इलाज और अभी इसकी हालत में बहुत सुधार आ गया है। अब यह पिल्ला न सिर्फ अपनी टाँगो पर चलता है बल्कि खूब दौड़ता भी है और दिन भर इसके साथ इलाक़े के बच्चों का टोला भी लगा रहता है। बड़ी खूबसूरत बात तो ये है की इस कुत्ते के पिल्ले का नाम यहाँ के बच्चों ने गुड्डू रख दिया है और अब मोहल्ले के लोग इसको इसी नाम से पुकारते हैं और आवाज़ लगाते है तो वह आकर्षित भी होता है !
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