मुंबई। मनपा के स्कूलों में पढ़ने वाले 34 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार हैं, यह खुलासा किया है प्रजा फाउंडेशन ने। प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, देश की सबसे बड़ी महानगर पालिका मनपा के स्कूलों में पढ़ने वाले 34 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। मनपा के स्कूलों में पढ़ने वाला तकरीबन हर तीसरा बच्चा कुपोषण का शिकार है।
हालांकि, मनपा के अनुसार स्कूल में आने वाले पहले से ही कुपोषण के शिकार होते हैं। मनपा की मानें तो ये बच्चे गरीब और सुविधाविहीन होते हैं जिस कारण वे कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, प्रशासन की लापरवाही और जनप्रतिनिधियों के उदासीन रवैये के कारण हर साल बच्चों में कुपोषण की समस्या बढ़ रही है। बता दें कि पिछले 3 सालों में इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में कुपोषण के मामलों में 4 गुना बढ़ोतरी हुई है।
प्रजा की रिपोर्ट के अनुसार, 2013-14 में बीएमसी स्कूलों में पढ़ने वाले 1,57,011 बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इनमें से 11,831 (लगभग 8 प्रतिशत) बच्चे कुपोषण का शिकार थे। कुपोषित बच्चों का आंकड़ा 2014-15 में 26 प्रतिशत रहा, जबकि 2015-16 में यह 34 प्रतिशत हो गया।
प्रजा फाउंडेशन के मिलिंद म्हस्के ने कहा कि सरकार द्वारा बच्चों के लिए मिड -डे मिल सहित कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। बावजूद इसके मुंबई जैसे शहर में बच्चों में कुपोषण की समस्या प्रशासन और नगरसेवकों की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगता है।
मोदी सरकार द्वारा महिलाओं के बेहतर कल के लिए ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान चलाया जा रहा है। फिर भी बीएमसी स्कूलों में लड़कियां कुपोषण की अधिक शिकार हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2013 में कुल 11,831 कुपोषित बच्चों में 6,893 लड़कियां और 4,938 लड़के थे।
प्रजा फाउंडेशन के मुताबिक, बच्चों में बढ़ रही इस समस्या के पीछे बजट का खर्च न होना भी एक वजह है। मिड-डे मिल के तहत बीएमसी स्कूलों को मिलने वाले कुल बजट का केवल 65 प्रतिशत ही 2015 में खर्च हुआ। मुंबई जैसे शहर में इतनी बड़ी संख्या में बच्चो का कुपोषित होना मानवता को शर्मसार करने जैसा है।
329 total views, 2 views today