चेंबूर कैंप और वाशीनाका में पैथोलॉजी सेंटरों की भरमार
मुंबई। मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले पौथोलॉजी सेंटरों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती? आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा समय में चेंबूर कैंप से वाशीनाका परिसर में करीब डेढ़ दर्जन पौथोलॉजी सेंटर सरकारी नियमों को ताक पर रखकर चल रहे हैं। इनमें शत प्रतिशत पौथोलॉजी सेंटरों में नियमित पैथोलॉजिस्ट (एम डी) डॉक्टर नहीं है। इसके बावजूद इन पर स्वास्थ्य विभाग, पुलिस या सरकारी अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के चिकित्सा अनुसंधान और शिक्षा निदेशालय (डीएमईआर) के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 10,000 से अधिक पौथोलॉजी सेंटर (निदान प्रयोगशालाएं) हैं और पैथोलॉजिस्ट डॉक्टर (प्रमाणित रोगविज्ञानी चिकित्सक) सिर्फ 2,200 ही हैं। इससे साफ होता है कि सिर्फ पैसा कमाने के लिए चेंबूर मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र में अवैध तरीके से पौथोलॉजी सेंटरों को चलाया जा रहा है।
बताया जाता है कि स्वास्थ्य विभाग की अनदेखियों के कारण अवैध रूप से चल रहे पौथोलॉजी सेंटरों में मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार वर्ष 2016 में डीएमईआर के संयुक्त निदेशक के मार्गदर्शन में एक विशेषज्ञ समिति की बैठक हुई थी। उक्त बैठक में कहा था कि निदान परीक्षण रिपोर्टों की जांच के लिए पंजीकृत रोगविज्ञानी द्वारा निगरानी की जानी चाहिए।क्योंकि तकनीशियन, रिपोर्टों का गलत इस्तेमाल कर सकते हैं, इससे रोगियों के जीवन को खतरे हो सकता है।
मोटी कमाई के चक्कर में पौथोलॉजिस्ट
वहीं राज्य में प्रमाणित पैथोलॉजिस्टों की सबसे बड़ी इकाई महाराष्ट्र पैथोलॉजिस्ट्स और माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स (एमएपीपीएम) ने आरोप लगाया गया है कि राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने रक्त, मूत्र, मल, ऊतक, शरीर के तरल पदार्थ और अन्य हिस्टोपैथोलॉजी के लिए टेस्ट रिपोर्टों पर हस्ताक्षर करने की अनुमति देकर अवैध रूप से चल रहे पौथोलॉजी सेंटर (लैब्स) की सुरक्षा कर रहे हैं।
एमएपीपीएम ने आरोप लगाया है कि रिपोर्ट के निष्कर्ष, जो कि 2009 के उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार हैं, उसे गैर कानूनी प्रयोगशालाओं को अपनी कमाई के चक्कर में हस्ताक्षर करने की अनुमति दिया गया है, जो अपराध के दायरे में आता है। औसतन अवैध रूप से चल रहे प्रयोगशालाओं की वार्षिक कमाई लगभग 500 करोड़ रुपये पार कर चुकी है।
अनुमानित आंकड़ों के मुताबिक मुंबई में भी लगभग एक तीहाई (1/3) प्रयोगशालाएं अवैध हैं। इन पर स्वास्थ्य विभाग, पुलिस या सरकारी अधिकारियों की नजर क्यों नहीं है? एमएपीपीएम के अध्यक्ष डॉ संदीप यादव ने कहा की जून 24, 2016 के अधिकारियों ने एक जीआर में कहा है कि शरीर के तरल पदार्थ, मूत्र, रक्त, मल या ऊतक के नमूनों की जांच और चिकित्सा रिपोर्टों पर हस्ताक्षर करना चिकित्सा पद्धति है। इसे केवल एक पंजीकृत चिकित्सक द्वारा किया जाना चाहिए। लेकिन यहां कानून को ताक पर रखकर पैथोलॉजी सेंटर वाले मरीजों को लूटने के लिए किसी भी डॉक्टर से हस्ताक्षर कराकर मोटी कमाई करते हैं।
चार पाथोलॉजिस्टों पंजीकृत रद्द
गौरतलब है कि पिछले दिनों चार पंजीकृत पैथोलॉजिस्टों को मरीजों को धोखा देने, बिना देखे व बिना जांच किये हस्ताक्षर करने के आरोप में महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल (एमएमसी) द्वारा उनका पंजीकृत को 6 महीनों के लिए रद्द कर दिया था। इन चारों डॉक्टरों द्वारा दस से 30 पैथोलॉजी सेंटरों की बिना जांच किये रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने का आरोप है। कुछ ऐसी ही स्थिति चेंबूर कैंप व वाशीनाका के पैथोलॉजी सेंटर व पैथोलॉजिस्टों का भी है। समय रहते इस पर शिकंजा नहीं कसा गया तो किसी बड़ी घटना से इंकार नहीं किया जा सकता।
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