जब गुस्साए किसानों ने सड़कों पर बहाया दूध

फडणवीस सरकार के खिलाफ किसानों का उग्र आंदोलन

मुंबई। महाराष्ट्र के इतिहास में पहली बार किसान हड़ताल पर जा रहे हैं। कर्जमाफी के मुद्दे पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से बातचीत विफल रहने के बाद किसान और उग्र हो गए हैं। हड़ताली किसान बाजारों में सब्जियां और डेयरियों में दूध नहीं पहुंचने दे रहे। जिससे मुंबई समेत राज्य के तमाम शहरों में दूध-सब्जी की सप्लाई थम गयी है। खाने-पीने की चीजों का संकट पैदा हो गया है। किसानों ने एक हफ्ते तक हड़ताल करने का फैसला किया है, आज हड़ताल का दूसरा दिन है।

सरकार की उपेक्षा से गुस्साए किसानों गुरुवार को ने दूध के कंटेनरों को सतारा, अहमदनगर आदि राजमार्गों पर बहाया। उग्र किसानों ने ट्रकों को बीच रास्ते में रोक कर फल- सब्ज़ियां निकालकर सड़कों पर फेंकी। अहमदनगर जिले के कोपरगांव में किसानों ने एक ट्रक को आग के हवाले कर दिया। आंदोलन के दूसरे दिन भी कई जगहों पर किसान इसी तरह से विरोध करते नजर आ रहे हैं। अनुमान है कि एक ही दिन में करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ। किसानों के विरोध प्रदर्शन से मुंबई, पुणे समेत महाराष्ट्र के शहरों को दूध, सब्जियों और फलों की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है।

बता दें कि कृषि उत्पादों की गिरती कीमतों से किसान परेशान हैं। उनका कहना है कि मुनाफा तो दूर लागत भी नहीं निकल पा रही है। किसान सरकार पर कर्ज माफी का एलान करने के लिए जोर दे रहे हैं। वहीं सरकार ने ऐसे मुद्दों पर फैसले में कुछ वक्त लगने की बात कही है। सरकार की ओर से किसानों की बेहतरी के लिए कई कदम उठाने का दावा भी किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि किसानों के इस आंदोलन की शुरुआत पुनताम्बे गांव से हुई।

किसानों की मुख्य मांगें

  1. किसानों के कर्ज माफ किए जाएं
  2.  स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू हों
  3. फसलों का उचित मूल्य दिया जाए
  4. किसानों के लिए भी पेंशन योजना शुरू की जाए

गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने पहले ही चेतावनी दे रखी थी कि किसानों को लेकर राज्य सरकार की नीतियों के विरोध में 1 जून से शहरों को दूध, सब्जी आदि जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति रोक देंगे।

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