मुंबई। भारतीय जनता पार्टी और उसकी पुरानी सहयोगी पार्टी शिवसेना के बीच आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में गठबंधन होगा या नहीं, इसे लेकर लंबे समय से अटकलें लगाई जा रही हैं। शिवसेना की तल्खी के चलते दोनों के बीच सबकुछ ठीक तो नहीं लग रहा था। हालांकि, गुरुवार शाम मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के बीच हुई बैठक में साफ-साफ बात होने के बाद जल्द ही स्थिति स्पष्ट होने की संभावना है।
करीब 30 मिनट तक चली मीटिंग में शिवसेना ने बीजेपी के सामने तीन बड़ी मांगें रखी हैं- अयोध्या में राम मंदिर निर्माण, 100% कृषि कर्जमाफी और मुंबई-ठाणे में 500 स्क्वेयर फीट से कम के घरों पर से संपत्ति कर पूरी तरह से हटाया जाए। यही नहीं, शिवसेना ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी को दो-टूक प्रस्ताव दिया है कि अगर तुम्हें प्रधानमंत्री पद चाहिए, तो महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री शिवसेना का होना चाहिए। हालांकि, इसकी संभावना नजर नहीं आ रही कि शिवसेना की यह शर्त बीजेपी मानेगी।
शिवसेना नेता संजय राऊत ने साफ किया कि बीजेपी के साथ गठबंधन के लिए अब तक किसी फॉर्म्युले पर कोई बातचीत नहीं हुई है। उन्होंने कहा, ‘हमारा एक ही फॉर्म्युला है- राष्ट्र में बीजेपी और महाराष्ट्र में शिवसेना। यही हमारी पहली और अंतिम भूमिका है। इसे हम कई बार स्पष्ट कर चुके हैं। इसके आधार पर ही आगे चर्चा होगी तो होगी। यह तो बाद की बात है कि कौन कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा।’ संजय राऊत ने कहा कि शिवसेना ने बीजेपी को कोई अल्टिमेटम नहीं दिया है। उन्होंने साफ किया, ‘अल्टिमेटम देने का सवाल ही उठता, क्योंकि हम तो अपने दम पर चुनाव लड़ने की घोषणा पहले ही कर चुके हैं।’
शिवसेना के एक सीनियर नेता ने बताया कि उद्धव ने बीजेपी से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर अपना रुख साफ करने को कहा है। उद्धव हाल ही में अयोध्या गए थे और उसके बाद से सेना पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर निशाना साधती रही है। गेंद अब बीजेपी के पाले में है। विधानसभा चुनावों में सीटों के बंटवारे को लेकर सेना के नेता ने कहा कि दोनों पार्टियां 50-50 व्यवस्था पर सहमत हो सकती हैं।
शिवसेना के सूत्रों का कहना है कि पार्टी नहीं चाहती कि बीजेपी ‘बड़े भाई’ की तरह व्यवहार करे। उनका कहना है कि बीजेपी शिवसेना का सम्मान करे और ताकत साझा करे। हालांकि, अगर दोनों के बीच गठबंधन होता है तो यह शिवसेना के लिए किरकिरी की बात हो सकती है। पार्टी ने बेहद कड़वे लहजे में ऐलान किया था कि वह बीजेपी के साथ गठबंधन नहीं करेगी और अपने दम पर चुनाव लड़ेगी।
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