मुश्ताक खान/ मुंबई। शिक्षा हासिल करने की कोई उम्र नहीं होती, इसे किसी भी उम्र में हासिल किया जा सकता है। इसकी ताजा मिसाल शिवाजीनगर (Shivaji nagar) में चल रहे मदरसा फैजान-ए-रजा (Madarsa Faizan-e-raza) में सहज ही देखा जा सकता है। इस मदरसे में पांच वर्ष की उम्र से लेकर बुजुर्ग महिलाएं भी तालीम हासिल करने आतीं हैं। 1986 से चल रहे मदरसा फैजान-ए-रजा में अब तक स्टूडेंट ही टीचर बनते आ रहे हैं। एसडीआई (SDI) द्वारा संचालित इस मदरसे की 7 शाखाएं शिवाजीनगर में चलाई जा रही हैं।
मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार को मदरसा फैजान-ए-रजा में सभी क्लास की छात्राओं का तीन माही टेस्ट लिया गया। इनमें अलिफ़ बे की कायदा से लेकर क़ुरान शरीफ (Quran Sharif) पढ़ने वाली छात्राओं ने बड़ी तैयारियों के साथ टेस्ट में हिस्सा लिया। टेस्ट के दौरान 7 महिला टीचर्स और मौलाना जुनैद नजमी व मौलाना महमूद अली खान अशरफी मौजूद थे। 1986 से चल रहे मदरसा फैजान-ए-रजा को हाल ही में एसडीआई (सुन्नी दावते इस्लामी) (Sunni Dawat-e-Islami) के साथ जोड़ा गया है।
फैजान-ए-रजा ट्रस्ट द्वारा संचालित इस मदरसे में चार पांच वर्ष की लड़कियों से लेकर बुजुर्ग महिलाओं से मामूली शिक्षा फीस ली जाती है। यहां इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि जो फीस देने में सक्षम नहीं है उसे मुफ्त में पढ़ाया जाता है। लगभग मुफ्त शिक्षा मुहैया कराने वाले इस मदरसे में करीब 365 बच्चे, बूढी और जवान छात्राएं दीनी तालीम के अलावा और भी कई हुनर सीख रहीं हैं। फैजान-ए-रजा के मौलाना जुनैद नजमी ने बताया कि शिवाजीनगर के रोड नंबर 5 पर स्थित अजमेरी मस्जिद से सटा यह मदरसा महिला और युवतियों के लिए सेफ जोन माना जाता है।
वहीं मदरसा के मौलाना महमूद अली खान अशरफी ने बताया कि आने वाले दिनों में यहां कंप्यूटर ट्रेनिंग के साथ स्वयं रोजगार योजना के तहत छात्राओं को कौशल विकास से जोड़ने की कोशिश की जा रही है। इस कड़ी में एक और दिलचस्प बात यह है कि चाची, खाला, नानी और दादी बनने की उम्र में भी कई महिलाएं अपनी शिक्षा को आगे बढ़ा रहीं हैं। मौलाना ने बताया कि यहां आने वाली खातून दुनियावी पढ़ाई के अलावा दीनी तालीम ले रहीं हैं यह हमारे लिए गर्व की बात है।
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