खतरे में मेडिकल अधिकारियों और कर्मियों की जान
प्रहरी संवाददाता/ मुंबई। सरकार ने सभी सरकारी और मनपा (BMC) अस्पतालों में बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य कर दी है। जबकि मरीजों की संख्या में वृद्धि और उसमें सरकार की क्या भूमिका है? यह सवाल पूछते हुए, आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली (Anil Galgali) ने बायोमेट्रिक उपस्थिति की अनिवार्यता को रद्द करने की मांग की है। बायोमेट्रिक उपस्थिति की नई शर्त से मेडिकल अधिकारियों और कर्मियों की जान सांसत में हैं।
गौरतलब है कि गलगली ने मुख्यमंत्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे, सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे, मुख्य सचिव अजोय मेहता और मनपा आयुक्त इकबाल सिंह चहल को पत्र लिखकर इस अनिवार्यता को तत्काल रद्द करने की मांग की है। 16 मई, 2020 को मनपा आयुक्त इकबाल सिंह चहल और डॉ तात्याराव लहाने द्वारा हस्ताक्षरित परिपत्र में 9 शर्तें शामिल हैं। इसकी बायोमेट्रिक आवश्यकता है और यह सरकारी और मनपा अस्पतालों में सभी सेवाओं में चिकित्सा, गैर-चिकित्सा और अर्ध-चिकित्सा अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए अनिवार्य है।
केंद्र सरकार ने बायोमेट्रिक उपस्थिति को रद्द कर दिया है और एम्स जैसे प्रतिष्ठित अस्पतालों में बायोमेट्रिक उपस्थिति नहीं है। यह कहते हुए, अनिल गलगली ने चिकित्सा अधिकारियों और कर्मचारियों के जीवन के साथ नहीं खेलने का अनुरोध किया है।
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