सद्भावना और मानवता का अटूट संगम
मुंबई। दौलत वालों की मुंबई में दिल वालों की कोई कमी नहीं है। जैसे यहां मैखानों में नोटों की बारिश होती है इससे कहीं बढ़-चढ़ कर लोग मानव सेवा और धर्मिक स्थलों पर लोग खर्च करते हैं। इसकी ताजा मिसाल विश्व हिंदू परिषद द्वारा संचालित सायन कोलीवाडा के शिव कल्याण केंद्र में सहज ही देखा जा सकता है। यहां एकता सद्भावना और मानवता का अटूट संगम देखने को मिलेगी। इसकी स्थापना विश्व हिंदू परिषद के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वर्गीय अशोक सिंघल ने की थी। इसके बाद लोग मिलते गए और कारवां बनता गया। मौजूदा समय में यहां कैंसर के मरीजों के रहने व खाने की मुफ्त व्यवस्था की गई है।
सायन कोलीवाडा के माता रमाबई अंबेडकर उद्यान से सटे हनुमाम टेकडी पर स्थित शिव कल्याण केंद्र इन दिनों कैंसर के मरीजों के कारण सुर्खियों में है। यहां के श्री समर्थ हुनमान मंदिर की स्थापना 1990 में हनुमान जयंती के दिन विश्व हिंदू परिषद के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वर्गीय अशोक सिंघल ने की थी। 90 के दशक में उनके साथ गोविंद राम शोभराज तहलियानी, कृष्ण कुमार सिंह सिंधी, सीताराम नगरकर, भास्कर राव मुंडले, हरिआत्मा राम समतानी और आनंद शंकर पांडेय थे।
यहां बतौर धर्मगुरू प्रकाश क्रितनीया अब भी कैंसर के मरीजों के साथ -साथ मंदिर की देख भाल में लगे रहते हैं। स्वर्गीय अशोक सिंघल के कार्यों को आगे बढ़ाते हुए विश्व हिंदू परिषद कोकण प्रांत के दिनेश तहलियानी की अध्यक्षता में श्री अशोक सिंघल रुग्ण सेवा सदन का संचालन किया जा रहा है। शिव कल्याण केंद्र में दिनेश तहलियानी के मार्गदर्शन में कैंसर के मरीजों को रहने खाने व अन्य सुविधाएं महैया कराई जाती है।
मानव सेवा, विश्वास और आस्था के इस नगरी में किसी तरह का भेद भाव नहीं किया जाता। यहां राजा और रंक सभी एक ही श्रेणी में देखे जा सकते हैं। कैंसर के मरीजों की सेवा में लगे शिव कल्याण केंद्र की चर्चा मुंबई और महाराष्ट्र सहित पूरे देश में होने लगी है। इन्हीं कारणों से अब यहां मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी होने लगी है।
धर्मगुरू एवं ट्रस्टी प्रकाश क्रितनीया के अनुसार शिव कल्याण नगरी के हनुमान मंदिर में जो भी मन्नतें मांगी जाती है वह भगवान शिव की कृपा से पूरी होती है। मान्यताओं के अनुसार यहां जो भी आता है, उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। शुरूआती दौर में इस परिसर को बनाने व सजाने में धार्मिक विचारो के स्वामी स्व. गोविंद राम शोभराज तहलियानी ने अहम भूमिका निभाई थी। वहीं मौजूदा समय में दिनेश तहिलियानी के अलावा संजय कुमार लोढ़ा, रामचंद्र रामूका, दिलीप दाते और श्रीनिवास राचा आदि स्व. अशोक सिंघल के कार्यों को आगे बढ़ा रहे हैं।
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