मुश्ताक खान/ मुंबई। इस्लामिक कैलेंडर (Islamic calendar) का पहला महीना मुहर्रम (Muharram) की खास अहमियत है। 21 मुहर्रम रविवार को हर साल की तरह इस वर्ष भी अंजुमन दस्ता-ए-अबू तालिब (Anjuman Dasta-e-abu Talib) की सरपरस्ती में शिया समुदाय के लोगों ने हुसैन की याद में मातमे जुलूस निकाला। कुर्ला पूर्व के जागृतिनगर से निकला जुलूस एस जी बर्वे मार्ग होते हुए अलीदादा इस्टेट में आकर संपन्न हुआ। इस जुलूस में निशान व ताबूत भी देखा गया। इस काफिले में बड़ी संख्या में कुर्ला पश्चिम (Kurla West), मुंब्रा (Mumbra), गोवंडी (Govandi), जागृतिनगर (Jagriti Nagar), स्वस्तिक चेंबर (Swastik Chember) और कुर्ला पूर्व (Kurla East) के लोग शामिल हुए।
मिली जानकारी के अनुसार कुर्ला पूर्व के अंजुमन दस्ता-ए-अबू तालिब की ओर से शहीदों की शहादत पर जुलूस निकाला कर आपसी भाईचारे का संदेश दिया गया। इमाम हुसैन ने सभी को एक साथ मिलकर रहने का संदेश दिया है और आज के दिन हुसैन ने कर्बला में शहादत दी थी। गम की इस घड़ी को लोग अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। इनमें कोई छाती पीटकर मातम मनाता है तो कोई जंजीरों से खुद को लहू-लूहान कर लेता है। मुहर्रम के इस माह में शिया समुदाय के लोग दस रोजे रखते हैं।
हुसैन को उनके दुश्मनों ने कर्बला में शहीद किया था। आज के दिन हुसैन की कुर्बानियों को शिद्दत से याद की जाती है। रविवार के मातमी जुलूस में कुर्ला पूर्व के जागृतिनगर में शिया समुदाय के लोगों ने अपने चौथे इमाम हजरत जैनुल आबेदीन की याद में भव्य जुलुस निकाला और जमकर मातम किया। इस जुलूस में मुंबई के कुर्ला पश्चिम, मुंब्रा, गोवंडी, जागृतिनगर, स्वस्तिक चेंबर और कुर्ला पूर्व आदि जगहों से समुदाय के लोग शामिल हुए।
उल्लेखनीय है कि पिछले 22 वर्षों से मोहर्रम की 25 तारीख के आस-पास के रविवार को इस जुलूस का आगाज कुर्ला पूर्व स्थित स्टेशन रोड से किया जाता है। इसकी शुरूआत खुर्शीद अली अंसारी ने स्थानीय समाजसेवक भास्कर म्हात्रे और अब्दुल कादर (डैनी) आदि लोगों ने मिल कर किया था। इस जुलूस में निशान और ताजिया को भी शामिल किया गया। इस जुलूस में बड़ी संख्या में बुजुर्गों के अलावा जवान, बच्चे और माहिलाओं ने हिस्सा लिया।
बताया जाता है कि शिया समुदाय के चौथे इमाम हजरत जैनुल आबेदीन की याद में जुलूस निकालते हैं। इस जुलूस का आगाज कुर्ला पूर्व के स्टेशन रोड से किया जाता है, जो एस जी बर्वे मार्ग होते हुए अलीदादा स्टेट में आकर खत्म होती है। इस जुलूस में मातम करने वालों को दस्ता-ए-अबू तालिब व सैय्यद अब्बास की तरफ से ग्लूकोज़, शरबत और खाना पानी मुहैया कराया जाता है। इस जुलूस में अलग- अलग स्थानों से आए लोगों मे अली अब्बास, सैय्यद जुल्फीकार, सैय्यद मन्नु, कैसर रज़ा, मोहम्मद नावीद, रज़ा सैय्यद और इरफान भाई आदि मौजूद थे। इस मौके पर सैय्यद रईस अहमद रजा, खुर्शीद अली अंसारी, आजाद आर हुसैन (अज्जु भाई), सरदार हुसैन सैय्यद, सैय्यद एजाज (बबलू) और समीर सैय्यद (जेन) आदि ने अहम भूमिका निभाई।
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