आस्था का केंद्र है पेन का प्राचीन हनुमान मंदिर

स्वर्ग का एहसास कराती है रायगढ़ की हरियाली

दिव्या पाटील/ नवी मुंबई। कुदरत की हसीन वादियों में फैला रायगढ़ (Raigad) जिले का जंगल स्वर्ग का एहसास कराता है। सैकड़ो किलोमीटर में फैले इस जंगल को देख वर्षा रानी भी फुले नहीं समाती। काश ऐसी वादियों में कुछ दिन और रुकने का अवसर मिलता, ऐसा पेन के हनुमान मंदिर (Hanuman Temple) का दर्शन करने वाले श्रद्धालु प्रमोद पाटील और उनकी धर्म पत्नी रंजना पाटील का कहना है।

महाराष्ट्र (Maharashtra) के पूर्व- दक्षिण का यह इलाका मुंबई से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस इलाके में पशु -पक्षी और जीव जंतुओं को मारने की इजाजत नहीं है। यहां के जीव-जंतुओं की देख भाल के लिए वन विभाग तैनात है।

आपको बता दें कि महाराष्ट्र का रायगढ़ जिला अपनी हरियाली व खूबसूरती के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। इसी जिले में कोकण का भी समावेश है। इसी तरह रायगढ़ जिला (Raigad District) के पेन तहसील में हनुमानपाडा नामक गांव पर्यटकों को खूब लुभाता है। शहर के कोलाहल से दूर पेन का यह छोटा सा गांव पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित भी करता है।

करीब दो हजार की जनसंख्या वाले हनुमानपाडा (Hanumanpada Villege) की प्राचीन हनुमान मंदिर आस्था का केंद्र बन गया है। दरअसल यह मंदिर गांव के निवासियों के साथ-साथ श्रद्धालुओं के लिए विशेष है। इस मंदिर में आने वालों की मुरादें पूरी होती है, जिसके कारण राज्य के हर शहर व नगर से लोग भगवान हनुमान का दर्शन के लिए आते हैं। यहां आने वाले लगभग हर श्रद्धालुओं की आस्था इस मंदिर से जुड़ा है।

श्रद्धालु रंजना पाटील का कहना है की गांव वालो पर भगवान हनुमान जी की कृपा हमेशा बनी रहे। गांव के लोगों के अनुसार हनुमानपाडा के प्राचीन मंदिर की एक गाथा है। वर्षों पूर्व एक किसान अपने खेत में काम पर जा रहा था, रास्त में उसने हर रोज की तरह पेड़ काटने की शुरूआत की, इस दौरान उक्त पेड़ से खून टपकने लगा, और हनुमान जी प्रकट हुए।

इस माजरे को देख किसान हैरत में पड़ गया। यह बात उसने सभी गांव वालो को बताई, उसकी बातों से प्रभावित होकर किसानों ने फैसला कर लिया और हनुमान मंदिर की स्थापन कर दी। यहीं से उक्त गांव का नाम हनुमानपाडा पड़ा। जो अब भी कायम है। यहां के लोग हनुमान जी की ही भावभक्ति करते हैं। यहां के लोग रामनवमी और हनुमान जयंती को काफी धूम धाम से मनाते हैं। पेन क्षेत्र के अधिकांश लोगों की आय का जरीया मछली पालन, खेती और देवी देवताओं की मूर्ति बनाना है।

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