सवालों के घेरे में शहर में गिरते स्काइवॉक

साभार/ मुंबई। महज 10 साल में ही मुंबई और आस-पास के तमाम स्काइवॉक अपनी उपयोगिता खोते जा रहे हैं। 700 करोड़ रुपये से अधिक के खर्च से बने इन स्काइवॉक की घटिया गुणवत्ता की भी अब पोल खुलने लगी है। पिछले दिनों दहिसर स्काइवॉक का कुछ हिस्सा गिरने के दो हादसों ने इस मामले को फिर चर्चा में ला दिया है।

एमएमआरडीए ने यह स्काइवॉक बनाकर मनपा के सुपुर्द कर किया था। इसके अलावा, वसई स्काइवॉक का भी कुछ हिस्सा गिरा, जिसके नीचे सैकड़ों दो-पहिया वाहन रोजाना खड़े होते हैं। जनता की सहूलियत के लिए बनाया गया शानदार इन्फ्रास्ट्रक्चर प्लानिंग और सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ने लगा है।

इस स्काइवॉक का कुछ हिस्सा पिछले हफ्ते दो बार गिरा। इससे पहले, पिछले साल इस स्काइवॉक ने राहगीर को भी अपना शिकार बनाया था। काफी हो-हल्ला मचा, तो बीएमसी के ब्रिज विभाग के लोगों ने दौरा किया। स्काइवॉक को खतरनाक बताकर इसे तुरंत बंद करने के निर्देश दिए। साथ ही, इसकी बेरिकेटिंग करने को भी कहा। ब्रिज विभाग ने फरवरी में इसे 3 से 4 महीने में दुरुस्त करने का भरोसा दिया, लेकिन यह महज वादा बनकर रह गया। आज तक न इसकी मरम्मत हुई, न ही इसके नीचे बेरिकेट लगाए गए।

वसई (पश्चिम) में भी इस तरह का हादसा पिछले दिनों हुआ। वर्तक कॉलेज की ओर जाने वाले इस स्काइवॉक के निचले हिस्से का पैनल अचानक गिर गया। यहां सैकड़ों दुपहिया वाहन पार्क होते हैं।कल्याण-पश्चिम का स्काइवॉक बना तो आम लोगों के लिए था, लेकिन इन दिनों इस फेरीवालों का जमावड़ा है। इससे लोगों का इस पर से गुजरना दूभर हो गया है। कहा जा रहा है कि मनपा को हफ्ता मिलने की वजह से फेरीवाले खुलेआम स्काइवॉक पर डेरा डाले हुए हैं।

जब इस बारे में कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका की महापौर विनीता विश्वनाथ राणे से बात की, तो उनका कहना था, ‘जल्द ही स्काइवॉक से फेरीवालों को हटा दिया जाएगा। पहले ही हटा लिया गया हो, लेकिन पुलिस की मदद न मिलने के कारण मामला अटका हुआ है।’ बता दें कि स्काइवॉक राज्य सरकार और मनपा ने बनवाया है।

कल्याण-डोंबिवली मनपा क्षेत्र में फेरीवाले बिना किसी डर के स्टेशन परिसर में धंधा लगाते हैं। पूरे फुटपाथों पर केवल दुकानदार और फेरीवालों का कब्जा है। स्टेशन परिसर में वडा-पाव, दाबेली, मंच्यूरियन आदि के स्टॉल भी खुले में चलते हैं। फेरीवालों को शासन-प्रशासन का डर नहीं है।

दूसरी तरफ, फेरीवालों कहना है, ‘आधे लोगों पर ही कार्रवाई होती है, जिनसे हफ्ता मिलता है, बीएमसी उन पर कार्रवाई नहीं करती। जब तक फेरीवालों का मनपा नियोजन करके उन्हें जगह नहीं देती, तब तक नहीं हटेंगे।’ महापौर राणे का उनका कहना है, ‘अगर पुलिस प्रशासन ने जल्द से जल्द ध्यान नहीं दिया, तो हमें पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलना पड़ेगा।’

 


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