साईड इफेक्ट का खतरा नहीं -डॉ. बड़वे
मुश्ताक खान/ मुंबई। बेतहाशा बढ़ते कैंसर मरीजों की बेहतर इलाज के लिए टाटा मेमोरियल सेंटर (Tata Memorial Center) द्वारा अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी प्रोटान थेरेपी की शुरूआत की जाने वाली है। थेरेपी यूनिट टीएमसी की खारघर स्थित एक्ट्रेक सेंटर (Actrac Center) में लगाने का काम शुरू कर दिया गया है। बेहतर इलाज के लिए बेल्जियम से 350 करोड़ में यूनिट आयात किया गया है। इसका लाभ हर प्रकार के कैंसर के मरीजों को मिलेगा। टीएमसी के निदेशक डॉ. आर. ए. बडवे ने बताया की प्रोटान थेरेपी का पहला टेस्ट इस वर्ष के अंत तक या 2021 के शुरूआत में की जाएगी। उन्होंने बताया की इस तरह की मशीन विश्व के गिने चुने देशों में है। भारत के सरकारी अस्पतलों में यह पहली मशीन है।
हाल के दिनों में कैंसर पीड़ितों की बढ़ती संख्या को देखते हुए टाटा मेमोरियल सेंटर ने आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने का फैसला किया है। इसके तहत आईबीए द्वारा बनाई गई प्रोटान थेरेपी यूनिट बेल्जियम से आयात कराया गया है। एक्ट्रेक सेंटर में इसका परिचलन इस वर्ष के अंत तक होने की संभावना है। प्रोटान थेरेपी के रेडिएशन (वी किरण) उपचार से मरीजों पर दुष्प्रभाव कम पड़ेगा। इसका साईड इफेक्ट लगभग ना के बराबर है। इस यूनिट को लगाने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। करीब 110 टन का प्रोटान थेरेपी यूनिट बेल्जियम से 350 करोड़ में आयात कराया गया है। अभी इसे लगने में समय के साथ-साथ काफी खर्च भी होने वाला है।
बहरहाल प्रोटान थेरेपी यूनिट का शिलान्यास टीएमसी (TMC) के डायरेक्टर डॉ. आर ए़ बड़वे, एक्ट्रेक के डायरेक्टर डॉ. संदीप गुप्ता, डॉ. एस लास्कर, बीएआरसी निदेशक डॉ. ए. के मोहंथी के हाथों संयुक्त रूप से किया गया। इस अवसर पर टाटा एक्ट्रेक को प्रोटान थेरेपी उपलब्ध कराने वाली आईबीए के डायरेक्टर राकेश पाठक और बेल्जियम के काउंसलेट जनरल पीयर इमैन्युएल ब्रुसल्समैन आदि मौजूद थे। यहां टीएमसी के डायरेक्टर डॉ. आर.ए बडवे ने कहा की प्रोटान थेरेपी यूनिट दुनिया के बड़े अस्पतालों में चल रहे हैं। इस मशीन का सबसे ज्यादा फायदा बच्चे व युवा पीढ़ी को होगा।
गौरतलब है की इससे पहले प्रोटान थेरेपी यूनिट चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल में है। अपने आप में अयुबा प्रोटान थेरेपी इस वर्ष के अंत तक एक्ट्रेक में भी चालू हो जाएगा। कयास लगाया जा रहा है की टीएमसी के खारघर इकाई (एक्ट्रेक) में लगाने वाला प्रोटान थरेपी युनट से पीडऐट्रिक कैंसर का इलाज आसान हो जाएगा।
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