मुंबई। बच्चों के खिलाफ यौन शोषण की घटनाओं पर नियंत्रण के लिए मुंबई के सभी पुलिस स्टेशनों में पॉक्सो सेल का गठन किया गया है। इस बात की जानकारी मुंबई पुलिस कमिश्नर दत्तात्रय पडसलगीकर ने दी। आपको बता दें कि पॉक्सो से जुड़े मामलों की एफआईआर पुलिस स्टेशन में ही दर्ज होती हैं, लेकिन अभी तक इस तरह के मामलों की जांच अन्य आम आपराधिक मामलों की तरह ही की जाती थी। पहली बार नाबालिग यौन अपराधों के खिलाफ स्वतंत्र सेल बनाया गया है।
साकीनाका पुलिस स्टेशन के सीनियर इंस्पेक्टर अविनाश धर्माधिकारी के अनुसार, यह सेल क्राइम इंस्पेक्टर के अंडर में काम करेगा। इस सेल में चार अधिकारी और चार सिपाही रखे गए हैं। इनमें महिला पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। पॉक्सो का मतलब है- प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल अफेंसेस ऐक्ट। यानी लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम। यह कानून 2012 में बना था। इस ऐक्ट के तहत गिरफ्तार आरोपी को आसानी से जमानत नहीं मिलती।
एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, यह सेल पुलिस स्टेशनों में 2017 में दायर हुए हर मामले को देखेगा। भले ही उस मामले की प्रारंभिक जांच किसी और पुलिस अधिकारी ने क्यों न की हो। मुकदमे से लेकर फैसले तक सभी मामले अब इसी सेल के कर्मचारी फॉलो करेंगे।
मुंबई पुलिस ने एक और महत्वपूर्ण फैसला किया है। अब जब भी कोई पीड़ित पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने जाएगा, उसकी सूचना संबंधित व्यक्ति को उसके मोबाइल पर एसएमएस से भी दी जाएगी। जब आरोपी गिरफ्तार होगा, जब केस में चार्जशीट दाखिल होगी और यदि जांच अधिकारी का ट्रांसफर हो गया और उसकी जगह नया जांच अधिकारी आया, तो वे सूचनाएं भी एफआईआर कराने वाले को एसएमएस से नियमित दी जाती रहेंगी।
पॉक्सो सेल बनने से पहले मुंबई में हर परिमंडल में कई दिन तक पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया। उन्हें बताया गया कि पीड़ित नाबालिग जब अपने परिवार के साथ एफआईआर दर्ज करवाने आएं, तो उनके साथ किस तरह बातचीत की जाए। उनसे कभी भी तेज आवाज में सवाल न पूछे जाएं, ताकि वे डरें नहीं। मेडिकल टेस्ट के लिए उन्हें कभी भी आरोपी के साथ अस्पताल न ले जाया जाए। पुलिसकर्मियों को यह भी ट्रेनिंग दी गई कि मुकदमे के दौरान जब नाबालिग को कोर्ट में पेश करने की जरूरत हो तो पहले यह पता कर लिया जाए कि जज कोर्ट में आ रहे हैं या नहीं।
कोर्ट में भी पीड़ित नाबालिग को उसकी सुनवाई से पहले ऐसी जगह न बैठाया जाए, जहां उसे डर लगे। पुलिसकर्मियों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि यदि कभी किसी पीड़ित नाबालिग के घर जाना हो, तो पुलिस वर्दी में न रहे, क्योंकि वर्दी में पुलिस के आने पर आसपास के लोगों को पता चल जाएगा कि किस घर के नाबालिग के साथ यौन शोषण हुआ है। पुलिसकर्मियों को मजबूती के साथ सबूत जुटाने और चार्जशीट दायर करने को कहा गया, ताकि पॉक्सो मामलों में अधिक से अधिक कनविक्शन हो सकें। पिछले एक सप्ताह में हर पुलिस स्टेशन में किसी खास तरह के अपराध रोकने के लिए सेल बनाने का यह दूसरा बड़ा फैसला है।
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