संवाददाता/ मुंबई। मुंबई में प्रदूषण (Mumbai Pollution) की समस्या साल दर साल बढ़ रही है। आंकड़ों के अनुसार, 5 साल में मुंबई में प्रदूषण के मामलों में 19 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसके कारण मुंबईकरों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, समय रहते जरूरी कदम न उठाए जाने से आने वाले समय में समस्या और भी गंभीर हो जाएगी।
प्रदूषण को लेकर हाल ही में जारी ग्रीनपीस की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2013 में मुंबई में पीएम (पर्टिकुलेट मैटर) 10 का स्तर 132 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था, जो 2018 में 19 प्रतिशत बढ़कर 162 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर हो गया। ग्रीनपीस इंडिया के वरिष्ठ समन्वयक अविनाश चंचल ने बताया कि मुंबई में होने वाले कंस्ट्रक्शन, वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण के कारण यहां समस्या बढ़ रही है।
मुंबई को लेकर जल्द से जल्द एक सख्त कदम उठाने की जरूरत है। बता दें कि ‘राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानक’ के अनुसार, पीएम 10 का स्तर सालाना 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक होना स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पीएम 10 की सेफ लिमिट 20 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है।
प्रदूषण के खिलाफ काम करने वाली संस्था वातावरण के संस्थापक भगवान केशभट्ट ने बताया कि मुंबई में प्रदूषण के लिए अनियंत्रित विकास काफी हद तक जिम्मेदार है। इसके अलावा यहां की हवा में घुल रहे जहर के पीछे इंडस्ट्री का प्रदूषण भी बहुत बड़ा कारण है। डीजल गाड़ियों पर प्रतिबंध न होने और धड़ल्ले से बढ़ रही गाड़ियों की संख्या के कारण समस्या दिन प्रति दिन बढ़ रही है। हमारे देश में हवा में प्रदूषण के स्तर को राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानक के अनुसार देखा जाता है, जबकि डब्ल्यूएचओ के अनुसार, स्थिति और भी भयानक है।
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