सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाती जनता

व्यवसायियों ने लगाई सरकार से गुहार

मुश्ताक खान/मुंबई। कोरोना (Corona virus) की दूसरी लहर में मरीजों की संख्या में पहले की तुलना में काफी कमी आई है। राज्य सरकार द्वारा लॉक डाउन लगाए जाने से कोरोना की रफ्तार भी ढीली पड़ी है। लेकिन लॉक डाउन के दौरान दी गई ढील खतरनाक साबित होगा। क्योंकि सुबह 7 से 11 बजे तक खाद्य पदार्थ व रोजमर्रा की जरूरी चीजों की दुकानों के खुलने की अनुमति राज्य सरकार ने दिया है। उसमें थोड़ा संशोधन की जरूरत है। ऐसा यहां के व्यवसायियों का मानना है।

मौजूदा समय में राज्य सरकार द्वारा मेडिकल स्टोर्स को छोड़ कर अन्य खाद्य पदार्थो की दुकानों के खुलने का समय सुबह 7 से 11 तय किया है। इस अवधि में लोग झुंड के झुंड सभी दुकानों में जमा हो जाते हैं। क्योंकि सभी को रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के  लिए खरीदारी जरूरी है। ऐसे में सभी चाहते हैं की मैं अपना सामान खरीद कर अपने घर पहुंच जाऊं, ताकि रास्ते में पुलिस का सामना न करना पड़े। जो की बेहद खतरनाक है। इससे कोरोना वायरस को गति मिल सकती है। लिहाजा इस महामारी से बचने के लिए राज्य सरकार को समय सरणी में कुछ बदलाव करनी चाहिए। ऐसा यहां के व्यवसायियों का कहना है की सुबह 7 से 11 के बजाय समय में फेरबदल करना बेहतर होगा। इसके लिए विचार मंगवाई जा सकती है।

मौजूदा समय सारणी में फेरबदल पर विचार करे सरकार

1. इस मुद्दे पर वाशीनाका में हरिओम्‌ जेनरल स्टोर्स राशन दुकान के मालिक अशोक अग्रवाल (Ashok Agarwal) का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा निर्धारित सुबह 7  से 11  बजे का समय सभी ग्राहकों के अनुकुल नहीं है। चूंकि मुंबई में देर रात तक जगने वाले लोग 8. 30  से 9  बजे तक सो कर उठते हैं। ऐसे लोगों के  लिए घरेलू रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाता  है। जिसके कारण अकसर दुकानों पर भीड़ लग जाती है। दुकानदारों के एहतियात बरतने के बावजूद सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पाता है। ऐसे में कोई भी दुकानदार अपने ग्राहक से झगड़ा तो नहीं कर सकता। इस लिहाज से अगर सरकार सुबह 9  से 2  या 10  से शाम 5  बजे तक खाद्य वस्तुओं की दुकानों के खुलने का समय तय करे तो भीड़ के साथ-साथ कोरोना जैसी की महामारी से बचा जा सकता है।

2. कुर्ला पूर्व में एशिया ग्रेन स्टोर के मालिक राजेश शाह का कहना है की लॉक डाउन के दौरान लोगों की आदत में काफी बदलाव आया है। इस लिहाज से कोरोना जैसी महामारी से निबटने के लिए दुकानों के खुलने का समय सुबह 9 बजे के बाद ही बेहतर होगा। उन्होंने राज्य सरकार से अपील किया है कि हम सभी सरकारी आदेशों का पालन करते हैं। राजेश शाह ने सरकार से आग्रह किया है की सुबह 7 से 11 बजे के समय को बदलने पर विचार करना चाहिए । क्योंकि अमूमन यहां ग्राहकों के आने का समय सुबह 9 के बाद ही होता है। उनका मानना है की अगर राज्य सरकार सुबह 7 के बजाय 9 बजे से शाम 5 बजे तक राशन की दुकानों को खुलने की अनुमति दे तो सोशल डिस्टेंसिंग का आदर पूर्वक पालन किया जा सकेगा।

3. नालासोपारा में जय अंबे स्टोर्स के मालिक आनंद तिवारी का कहना है की सरकारी नियमानुसार मैं सुबह 7  बजे दुकान खोल देता हूं। लेकिन ग्राहकों के आने का समय अब भी वही है जो पहले था। उन्होंने कहा की दुकान खुलने के बाद भी 9  बजे से पहले एक्का- दुक्का ही ग्राहक आते हैं। लेकिन 9  बजे के बाद झुंड के झुंड ग्राहकों के आने पर दिक्कत होती है। ग्राहकों की बढ़ती संख्या के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना या कराना कठिन हो जाता है। इस लिहाज से सरकार हमारी परेशानियों को समझे और अपने समय सारणी में बदलाव करे ताकि हम सभी मिलकर न केवल मुंबई बल्कि पूरे राज्य को स्वस्थ्य और निरोग रखने में सफल हो सकें।

 

4. घाटकोपर, विद्याविहार पूर्व कला कृपा स्टोर्स के मालिक शिव कुमार जयसवाल का कहना है की राज्य सरकार ने हम सभी को कोरोना जैसी महामारी से बचने और बचाने के  लिए सुबह 7  से 11 बजे तक की सुविधा मुहैया कराई है। लेकिन मौजूदा समय को देखते हुए इसमें थोड़ी बदलाव की जरूरत है। जयसवाल ने कहा की अगर हम समय के अनुसार अपनी दुकाने बंद कर देते हैं। इसके बाद भी हमारी समस्याएं समाप्त नहीं होती। चूंकि खाद्य सामग्री के थोक विक्रेता दिन में करीब 12 बजे के बाद ही माल की डिलीवरी करते हैं। ऐसे में हमें दुकान के आस पास ही रहना पड़ता है। ताकि माल लिया जा सके।  इस दौरान पुलिस की दबीश का खौफ होता है, कभी कभी ऐसा भी होता है कि थोक माल को दुकान में रखने के समय  कोई ग्राहक आ जाता है जिसे वापस नहीं किया जा सकता, तो हमें क्या करना चाहिए? उन्होंने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि मौजूदा समय सारणी में बदलाव कर हम लोगों को सुबह 9  बजे से शाम 5  बजे तक दुकान चलाने की अनुमती दे।

5. इसी तरह भिवंडी अंजूर फाटा के दुकानदार शीलानंद झा से बात करने पर उन्होंने बताया की समय सारणी में बदलाव नहीं हुआ तो मध्यम वर्ग और मजदूर किस्म के लोगों कस सामने भूखमरी की समस्याएं उत्पन्न हो जाएंगी। झा ने कहा की सरकार द्वारा तय समय की हम कद्र करते हैं। ऐसे में राज्य सरकार को बड़े छोटे हर तबके के व्यवसायियों से विचार मंगवाना चाहिए। क्योंकि कोरोना की पहली लहर ने व्यवसायियों की कमर तोड़ दी थी और अब बचा खुचा दूसरी ने निकाल दिया। ऐसे में अगर राज्य सरकार समय सारणी में बदलाव करे या लॉक डाउन का विकल्प तलाश करे तो ज्यादा बेहर होगा। क्योकि महज एक दो घंटे की दुकानदारी में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना कठिन ही नहीं आसंभव है। उन्होंने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा की सुबह 10 से 4 या 5  बजे तक दुकानों के खुलने से बेहतर होगा। क्योंकि मौजूदा समय में सरकारी नियमों से हट कर लोग चुपके चोरी अपना करोबार कर रहे हैं।

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